हल्द्वानी। हल्द्वानी वासियों के लिए बड़ी खबर है। जमरानी बांध परियोजना को वित्त मंत्रालय की मंजूरी मिल गई है। अब इस बांध के लिए धन मुहैय्या कराने वाली एजेंसी से बात की जाएगी। अब सिंचाई विभाग बांध निर्माण का काम शुरू करेगा।
आज दिल्ली में जमरानी बांध के संबंध में वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक हुई। जिसमें उत्तराखंड की सिंचाई सचिव डॉ. भूपिंदर कौर औलख सहित सिंचाई विभाग के कई अधिकारी मौजूद रहे। सिंचाई विभाग के अधिकारियों की मेहनत के चलते बांध निर्माण के तमाम अवरोध दूर हो गए हैं। विगत बृहस्पतिवार को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने हस्ताक्षर कर पर्यावरण की अंतिम मंजूरी भी दे दी थी।
बांध बनने में नहीं, प्लानिंग में लगेगा अधिक समय
बांध बनाने के लिए अब नई तकनीक का प्रयोग होने लगा है। नई तकनीक से बांध का निर्माण जल्द हो जाता है लेकिन जमरानी परियोजना में बांध निर्माण से ज्यादा प्लानिंग का काम अधिक है। इस परियोजना की प्लानिंग में बहुत अधिक समय लगने की संभावना है। बांध परियोजना के विशेषज्ञ अभियंताओं ने इस मामले में अपनी राय जाहिर की है।
सिंचाई विभाग के जमरानी बांध निर्माण परियोजना खंड के अधिशासी अभियंता भारत भूषण पांडे ने बताया कि बांध निर्माण के लिए अब रूरल कांपैक्टेड कंक्रीट (आरसीसी) तकनीक अपनाई जाती है। इस तकनीक के तहत निर्माण सामग्री मौजूद होने पर अधिकांश चीजें रेडीमेड तैयार की जाती हैं। यहां 130 मीटर लंबा बांध बनाया जाना है।
इतने बड़े बांध का निर्माण तो महज चार से पांच माह में पूरा हो जाएगा मगर बांध से पूर्व आवश्यक संसाधन जुटाने, संयंत्र, स्टोरेज, मैटीरियल डिपो, लेबर, आवास, परिवहन, फूड मैटीरियल आदि की व्यवस्थाओं और प्लानिंग करना बड़ी चुनौती है। बांध निर्माण से पूर्व इन सभी व्यवस्थाओं को पूरा कराने के लिए बेहद संजीदगी से प्लानिंग की जानी है। इन ढांचागत सुविधाओं के जुटा लेने के बाद ही बांध निर्माण किया जाएगा। इन सभी सुविधाओं को प्लानिंग में करीब तीन या चार साल लग सकते हैं।
करनी होगी 24 गुणा 7 की प्लानिंग
जमरानी बांध निर्माण खंड के अधिशासी अभियंता भारत भूषण पांडे का कहना है कि रूरल कांपैक्टेड कंक्रीट तकनीक से निर्मित की जाने वाले बांध निर्माण के लिए 24 गुणा 7 के हिसाब के काम करने की प्लानिंग करनी होगी।
केंद्र में रहेंगे अमृतपुर, दमुवढूंगा, बालाझाला, गौला
ईई भारत भूषण पांडे ने बताया कि सिंचाई विभाग की जमरानी, दमुवाढूंगा, बालाझाला और गौला में अपनी संपत्तियां और विभागीय आवास हैं। बांद निर्माण से पूर्व इस संपत्तियों और आवासों के उपयोग पर भी विचार विमर्श किया जाएगा।
नमामि गंगे की भी मिली एनओसी
जमरानी बांध परियोजना को केंद्रीय वन एवं पर्यावरण, नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय, आवासन एवं शहरी कार्य मंत्रालय के बाद मंगलवार को केंद्र सरकार के नमामि गंगे परियोजना की ओर से भी एनओसी मिल गई है।
केंद्रीय जल संसाधन मंत्रालय ने भी एनओसी दिए जाने का आश्वासन दिया है। अब बुधवार को केंद्रीय वित्त मंत्रालय में जमरानी बांध परियोजना के कार्य में हुई प्रगति की समीक्षा के साथ ही बजट पर चर्चा होगी। जमरानी बांध परियोजना के अधीक्षण अभियंता संजय शुक्ल ने बताया कि नमामि गंगे की मंजूरी मिलने से अब वित्त मिलने की राह आसान हो गई है।
जमरानी बांध परियोजना को नया स्टाफ मिलने के बाद काम में तेजी आई है। जिस तत्परता और इच्छाशक्ति के साथ अधिकारियों के काम को आगे बढ़ाया है और एक के बाद एक एनओसी दिलाई हैं, इसके लिए उन्हें विशेष बधाई देता है।
– मोहन चंद्र पांडेय, मुख्य अभियंता सिंचाई विभाग