हल्द्वानी। कोरोनाकाल में श्ववसन क्रिया पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। सामान्यतया वायरस श्वसन के माध्यम से ही शरीर में प्रवेश करता है। एमबीपीजी कॉलेज में योग विभाग की प्रवक्ता आरती चौधरी बताती हैं, अगर शरीर के नासिकारूपी प्रवेश द्वार को स्वच्छ एवं निर्मल करते हुए शरीर की प्रतिरोधक क्षमता को उन्नत किया जाए तो यह वायरस हमें नुकसान नहीं पहुंचा पाएगा। इसके लिए नेति क्रिया, जिसे ईएनटी केयर भी कहा जाता है। इसके अभ्यास से आंख, नाक, गले संबंधित कई बीमारियां दूर हो जाती हैं।
जल नेति क्रिया के अभ्यास के लिए एक विशेष आकार के पात्र या फिर नालीदार लोटे की आवश्यकता होती है। इस पात्र को अच्छी प्रकार धोने के बाद इसमें थोड़ा नमक मिला हुआ हल्का गर्म जल भर लें। इसके बाद खड़े होकर या फिर बैठकर गर्दन को आगे की ओर किसी दिशा में झुकाएं। अब नासिका का जो स्वर चल रहा हो, उसमें जल से भरे लोटे की नली को बहुत सहजतापूर्वक लगाएं। मुख खोलकर श्वास-प्रश्वास की क्रिया मुंह से करते रहें। ऐसा करने से लोटे में उपस्थित जल स्वत: ही एक नासिका छिद्र से प्रवेश कर दूसरी नासिका छिद्र से आने लगता है। यह अभ्यास ही जलनेति कहा जाता है। इस क्रिया को प्रतिदिन सुबह खालीपेट किया जा सकता है। देखने में सरल और करने में अासान यौगिक क्रिया का बहुत अधिक लाभ हैं। सर्दी-जुकाम, एलर्जी, सायनस, लगातार सिरदर्द, माइग्रेन में भी राहत मिलती है। वर्तमान समय में इस क्रिया का बहुत अधिक महत्व है।