नैनीताल हाईकोर्ट ने फरवरी 2021 में हुई दरोगा पदोन्नति परीक्षा का परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है। न्यायमूर्ति रवींद्र मैठाणी की एकलपीठ के समक्ष कांस्टेबल आशीष त्यागी की याचिका पर सुनवाई हुई। याचिका में कहा गया कि फरवरी 2021 में कांस्टेबल से एसआई/प्लाटून कमांडर पद पर पदोन्नति के लिए अधीनस्थ सेवा चयन आयोग ने परीक्षा कराई थी।
आयोग ने दो बार इसकी आंसर-की जारी की। पहली आंसर-की में दिए गए प्रश्नों का उसने सही उत्तर दिया था, लेकिन दूसरी आंसर-की में उसके एक सवाल को गलत बताया गया। जब उसने आरटीआई के तहत पुलिस भर्ती केंद्र नरेंद्रनगर और अन्य से जानकारी मांगी तो उसका जवाब सही था।
याचिका में कहा गया कि उसके जिस प्रश्न को गलत बताया गया था वह था-गार्ड की ताकत क्या है और याचिकाकर्ता ने इसका जवाब दिया था-एक हेड कांस्टेबल और तीन कांस्टेबल। उसका यह उत्तर सही था।
याचिकाकर्ता का कहना था कि यदि इस पदोन्नति परीक्षा का परिणाम घोषित होता है और सफल उम्मीदवारों को प्रशिक्षण के लिए भेजा जाता है तो याचिकाकर्ता के अधिकार पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ेगा। पक्षों को सुनने के बाद हाईकोर्ट की एकलपीठ ने पदोन्नति परीक्षा के परिणाम घोषित करने पर रोक लगा दी है।
जांच रिपोर्ट सीलबंद लिफाफे में कोर्ट में पेश करने के निर्देश
मामले में बृहस्पतिवार को बोर्ड अध्यक्ष शमशेर सिंह सत्याल ने मामले में उन्हें पक्षकार बनाने के लिए प्रार्थनापत्र दिया था। इसमें उन्होंने कहा था कि वह बोर्ड के अध्यक्ष हैं और पूरे घोटाले से वाकिफ हैं। उनका कहना था कि बोर्ड के सदस्यों ने कोटद्वार में ईएसआई हॉस्पिटल बनाने के लिए सरकार और कैबिनेट की मंजूरी के बिना ब्रिज एंड रूफ इंडिया लिमिटेड को 50 करोड़ रुपये का ठेका दे दिया। इतना ही नहीं, 20 करोड़ रुपये का अग्रिम भुगतान भी कर दिया गया, जबकि अस्पताल के लिए जमीन का चयन तक नहीं किया गया है। सरकार ने 9 दिसंबर 2020 को इसकी जांच के लिए एक कमेटी गठित की। कमेटी ने सरकार को अपनी जांच रिपोर्ट 23 मार्च 2021 को सौंप दी थी। जांच में 20 करोड़ रुपये का गबन होना पाया गया था। चेयरमैन का कहना था कि जब जांच पूरी हो चुकी है तो सरकार इस रिपोर्ट को सार्वजनिक क्यों नहीं कर रही है।
यह थी याचिका
काशीपुर निवासी खुर्शीद अहमद ने हाईकोर्ट में जनहित याचिका दायर कर कहा था कि वर्ष 2020 में भवन एवं सन्निर्माण कल्याण बोर्ड में श्रमिकों को देने के लिए टूल किट, सिलाई मशीनों एवं साइकिलों की खरीद में बोर्ड अधिकारियों ने वित्तीय अनियमिताएं की थीं। जब इसकी शिकायत प्रशासन और राज्यपाल से की गई तो अक्तूबर 2020 में बोर्ड को भंग कर शमशेर सिंह सत्याल को इसका अध्यक्ष नियुक्त कर दिया गया। अध्यक्ष की जांच में भी घोटाले की पुष्टि हुई। इस मामले में श्रम आयुक्त उत्तराखंड की ओर से भी जांच की गई, जिसमें कई बड़े नेताओं और अधिकारियों के नाम भी आए लेकिन सरकार ने नया जांच अधिकारी नियुक्त कर दिया जो निष्पक्ष जांच नहीं कर रहा है।