दूसरी डेडलाइन भी खत्म, हल्द्वानी में नहीं तैयार हो सका डीआरडीओ का कोविड अस्पताल

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हल्द्वानी। कोरोना संक्रमण अभी थमा नहीं हैं, लेकिन कम जरूर हुआ है। सरकारी से लेकर निजी अस्पतालों में बेड खाली रहने लगे हैं। वहीं महामारी के चरम पर रहते हुए राजकीय मेडिकल कॉलेज में 500 बेड का अस्थायी अस्पताल बन रहा था। दो डेडलाइन पूरी हो गई है, लेकिन अभी तक अस्पताल नहीं बन सका है।

राजकीय मेडिकल काॅलेज परिसर में 15 करोड़ की लागत से रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) की ओर से 500 बेड का अस्थायी अस्पताल बन रहा है। इसमें 100 आक्सीजन बेड, 125 आइसीयू बेड बनने हैं। वहीं जब शहर के अस्पतालों में मरीज भर्ती होने के लिए तड़प रहे थे। सरकारी से लेकर निजी अस्पताल पैक थे। स्वजन अपने मरीज को भर्ती कराने के लिए इधर-उधर भटक रहे थे। तब इस अस्पताल के निर्माण को लेकर तमाम उम्मीद जग रही थी। इस कोविड अस्पताल के चालू होने की पहले डेडलाइन 18 मई थी, लेकिन तय तिथि तक नहीं बना। इसके बाद कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत ने निरीक्षण किया। मंत्री ने 25 अप्रैल तक अस्पताल को चालू करने के निर्देश दिए थे। तब उन्हें डीआरडीओ के अधिकारियों ने भी आश्वस्त किया था, लेकिन इस तिथि तक भी काम पूरा नहीं हो सका है।

स्टाफ आने को तैयार नहीं

डीआरडीओ के इस कोविड अस्पताल में डाक्टर व अन्य स्टाफ की नियुक्ति के लिए राजकीय मेडिकल कॉलेज को जिम्मेदारी थी। इसके लिए साक्षात्कार हो रहे हैं, लेकिन कोई भी स्टाफ इसमें ज्वाइन करने को तैयार नहीं हैं। अब कॉलेज प्रशासन ने डा. सुशीला तिवारी कोविड अस्पताल से ही डाक्टर व स्टाफ की ड्यूटी लगाने का निर्णय लिया है। प्राचार्य प्रो. सीपी भैंसोड़ा ने बताया कि साक्षात्कार में स्टाफ नहीं मिला। इस अस्पताल में भर्ती मरीजों के आधार पर ही डाक्टर व अन्य स्टाफ की ड्यूटी लगाई जाएगी। इसके लिए पूरी रणनीति तैयार कर ली गई है।

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