नैनीताल। रासायनिक रंगों का प्रयोग स्वास्थ्य के लिए बेहद खतरनाक होता है। होली पर ज्यादातर ऐसे ही रंगों का प्रयोग किया जाता है। जबकि बाजार में हर्बल रंगों का विकल्प मौजूद है। लेकिन हर्बल रंगों की कास्ट कुछ अधिक होने के कारण इसे खरीदना नहीं चाहते हैं। इसे दखते हुए नैनीताल की चेली संस्था ने अच्छी पहल की है। संस्था ने चुकुन्दर, गुलाब के फूल, गेंदा के फूल व पालक से हर्बल रंग तैयार किया है। बंगलुरू, पुड्डुचेरी, शिमला से उनकी डिमांड भी आ चुकी है।
रंगों का पर्व होली नजदीक है। होली पर बाजारों में मिलावटी रंगों की आवक तेजी से बढ़ रही है। इन रंगों का प्रयोग करने से भयंकर साइड इफेक्ट भी नजर आते हैं। ऐसे में अब हर्बल रंगों का प्रचलन साल दर साल बढ़ रहा है। महिला समूह व स्वयंसवीं संस्थाएं इसमें आगे आ रही है। नैनीताल की चेली संस्था ने भी हर्बल रंग तैयार किये हैं। संस्था ने इंटरनेट मीडिया के माध्यम से बिक्री आरंभ कर दी है। संस्था की संचालिका किरन तिवारी के अनुसार फूलों से रंग बनाए जा रहे हैं।
इस काम में 30 महिलाएं ध्याड़ी पर काम कर रही हैं। रंग सुखाने का काम बेहद सावधानीपूर्वक करना होता है। संस्था की ओर से रंग के साथ अबीर भी तैयार किया है। रंग का सौ ग्राम का पैकेट सौ जबकि 50 ग्राम का पैकेट 30 रुपये में उपलब्ध है। अब तक पांडुचेरी, शिमला, पुणे समेत अन्य शहरों से ऑर्डर मिल चुके हैं। संस्था की महिलाएं खूब मेहनत कर रही हैं। किरन को हाल ही में महिला दिवस पर कुमाऊं विवि महिला अध्ययन केंद्र की ओर से भी सम्मानित किया गया है।