नैनीताल : आपदा प्रभावित इलाकों में बंद सड़कें व रास्ते बीमारों के लिए बड़ी मुसीबत बन गई गए हैं। खासकर नैनताल जिले के रामगढ़, ओखलकांडा के ग्रामीण बीमार लोगों को डोली में लाने के लिए मजबूर हो गए हैं। पलायन की मार झेल रहे इन गांवों की आपदा के बाद की तस्वीरों ने सरकार व शासन-प्रशासन की चिंता बढ़ा दी है।
नैनीताल जिले में आपदा के एक सप्ताह बाद भी 40 से अधिक ग्रामीण सड़कें मलबा आने, भूस्खलन की वजह से बन्द पड़े हैं। सरकार व प्रशासन का फोकस फिलहाल युद्धस्तर पर मुख्य मार्गो को खोलने का है। पूरी सरकारी मशीनरी झोंकने के बाद भी दूरस्थ इलाकों की महत्वपूर्ण सड़कों को अब तक खोंलने के प्रयास शुरू नहीं हो सके हैं। जिससे इन गांवों में बीमार बुजुर्ग को अस्पताल तक पहुंचना कठिन हो गया है। पलायन की मार झेल रहे इन गांवों में पहले ही युवा व अधेड़ आबादी कम है, इन परिस्थितियों में यह संकट बड़ा हो गया है।
रामगढ़ के उमागढ़ जैसे समीपवर्ती गांव में रसूखदार परिवारों के बुजुर्ग तक ग्रामीणों पर निर्भर हो गए हैं। उमागढ़ की प्रधान रेखा जोशी के अनुसार सड़क के साथ ही गांव तक के पैदल रास्ते पूरी तरह अवरुद्ध हैं। दो दिन जैसे जैसे दो बुजुर्ग बीमारों को अस्पताल पहुंचाया गया। प्रधान के अनुसार पब्लिक का आक्रोश झेलना अब मुश्किल हो गया है। जनता समझ रही है कि प्रधान कुछ नहीं कर रही, जबकि विभागीय व प्रशासनिक अधिकारी उनकी सुन नहीं रहे हैं।
उधर ओखलकांडा के थलाड़ी के लिए बंद सड़क को अब तक खोला नहीं जा सका है। क्षेत्र के सामाजिक कार्यकर्ता सुरेश बिष्ट के अनुसार सड़क बंद होने से गांव की दो दुकानों में समान खत्म हो गया है। जरूरी सामान की किल्लत होने लगी है। उन्होंने आरोप लगाया कि लोनिवि द्वारा पब्लिक की परेशानी के बजाय राजनीतिक दबाव में सड़कों को खोंलने के लिए बुलडोजर भेजे जा रहे हैं। उधर जिलाधिकारी धीराज गर्ब्याल का कहना है कि बंद सड़कों को युद्धस्तर पर खोला जा रहा है। उन्होंने कहा कि गांवों के रास्तों को खोंलने के लिए ग्राम पंचायतों को मदद दी जा रही है।