हल्द्वानी : कोरोना की तीसरी लहर में बच्चों को सबसे ज्यादा खतरा बताया जा रहा है। इससे बचाव के लिए छोटे बच्चों में पोषण का स्तर बेहतर होना जरूरी है, इसके लिए राष्ट्रीय पोषण मिशन व महिला बाल विकास विभाग की ओर से कई योजनाएं संचालित हो रही हैं, मगर हालात ज्यादा ठीक नहीं हैं। हल्द्वानी कुमाऊं का सबसे बड़ा शहर है। यहां डीएम से लेकर कई बड़े अधिकारी भी कैंप कार्यालय खोलकर बैठते हैं, इसके बाद भी यह शहर जिले में सबसे ज्यादा कुपोषित है, जो चिंता पैदा कर रही है।
महिला एवं बाल विकास विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, नैनीताल जिले में कुपोषित बच्चों की संख्या 1245 तथा अतिकुपोषित 48 हैं। इसमें हल्द्वानी शहरी क्षेत्र में कुपोषित बच्चे 309 व अतिकुपोषित बच्चे 11 हैं। इसके बाद रामनगर का नंबर आता है। यहां अतिकुपोषित नौ व कुपोषित बच्चों की संख्या 82 है। रामगढ़ 16 व बेतालघाट में कुपोषित बच्चों की संख्या 19 है। वहीं बीते वर्ष के मुकाबले अतिकुपोषित से कुपोषित में आए बच्चों की संख्या मात्र 18 है, जबकि अतिकुपोषित से सामान्य श्रेणी में आए बच्चों की संख्या मात्र 11 है। ओखलकांडा व धारी परियोजना क्षेत्र में एक-एक बच्चे की मौत भी हो चुकी है।
पोषण में नैनीताल नौंवे स्थान पर
पोषण के मामले में पिथौरागढ़ प्रदेश में पहले स्थान पर है। बागेश्वर दूसरे, रुद्रप्रयाग तीसरे, चमोली चौथे व चंपावत पांचवे स्थान पर है, जबकि नैनीताल प्रदेश में नौवें स्थान पर है।
जिले में कुपोषण की स्थिति
वर्ष 2019-20 2020-21
कुपोषित 1781 1245
कुपोषित से सामान्य 749 562
अतिकुपोषित 57 48
अधिकारी गोद लेकर सुधार रहे सेहत
अतिकुपोषित बच्चों के स्वास्थ्य में सुधार के लिए जिलास्तरीय अधिकारियों ने बच्चों की जिम्मेदारी उठाई है, जिससे उनके पोषण स्तर में सुधार हो रहा है। जिला विकास अधिकारी रमा गोस्वामी ने तल्ली बमौरी के रक्षित को गोद लिया है। डीएसटीओ ललित मोहन जोशी ने बनभूलपुरा की नुसरत जहां को गोद लिया है। जिला सेवायोजन अधिकारी प्रियंका गढिय़ा ने लालकुआं की निहारिका को गोद लिया था, जो कि स्वस्थ होकर अब सामान्य श्रेणी में आ गई है। होम्योपैथिक अधिकारी डा. मीरा ने कोरोना से पहले विकरामपुर के भगवान सिंह को गोद लिया था। यह भी अतिकुपोषित श्रेणी से बाहर आ गया है।
सभी को दिया जा रहा पौष्टिक आहार
महिला व बाल विकास विभाग, नैनीताल की डीपीओ अनुलेखा बिष्ट ने बताया कि पोषण स्तर में सुधार के लिए बच्चे, गर्भवती, धात्री, किशोरी सभी को पौष्टिक आहार दिया जा रहा है। पोषण स्तर बेहतर भी हो रहा है। जिलास्तरीय अधिकारी भी पोषण स्तर बेहतर करने में योगदान दे रहे हैं।