नैनीताल। नैनीताल आरक्षित सीट से भाजपा की सरिता आर्य ने जीत दर्ज कर इतिहास रच दिया है। सरिता ने अपने चिर प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस प्रत्याशी संजीव आर्य को पराजित कर पिछली हार का बदला भी ले लिया है। जीत के बाद अब सरिता ने बड़ी सियासी उड़ान भरी है तो संजीव के सियासी भविष्य पर सवाल खड़े हो गए हैं।
विधानसभा चुनाव की नामांकन प्रक्रिया शुरू होने के बाद कांग्रेस ने निवर्तमान विधायक संजीव आर्य को टिकट थमाया तो एकाएक सरिता ने पाला बदल कर भाजपा की सदस्यता ग्रहण की और पार्टी ने तीन दावेदारों दिनेश आर्य, मोहन पाल, अम्बा आर्य आदि को दरकिनार कर सरिता को प्रत्याशी घोषित कर दिया। दावेदारों ने विरोध में पार्टी छोड़ने की धमकी भी दी, बाद में पार्टी ने उन्हें मना लिया।
चुनाव प्रचार के दौरान संजीव ने भाजपा में सेंधमारी कर तमाम स्थानीय नेताओं, ग्रामीण जनप्रतिनिधियों को कांग्रेस की सदस्यता दिलाकर मनोवैज्ञानिक बढ़त लेने की कोशिश की। सरिता ने अपने खिलाफ जाति प्रमाण पत्र की शिकायत को मुद्दा बनाकर भावनात्मक कार्ड खेल दिया।
ग्रामीण इलाकों में मोदी मैजिक ने सरिता की सियासी जमीन को वोटों की लहलहाती फसल में तब्दील कर दिया। नतीजा यह रहा कि कांग्रेस को हार का सामना करना पड़ा। घोषित परिणाम के अनुसार सरिता को 31443, संजीव को 23525, हेम को 2758, उक्रांद के ओमप्रकाश उर्फ सुभाष चंद्र को 897 मत मिले।
पिछली बार के चुनाव में संजीव ने सरिता को आठ हजार से अधिक वोट से हराया था। संजीव को 30036, सरिता को 22789, हेम आर्य को 5505 मत मिले थे। राज्य बनने के बाद सरिता पहली प्रत्याशी हैं, जो दुबारा विधायक बनी हैं। अविभाजित उत्तरप्रदेश के दौर में इस सीट से बंशीधर भगत तीन बार, किशन सिंह तड़ागी दो बार विधायक बने थे।