पंत विवि के दीक्षांत समारोह में बोले अजीत डोभाल, बॉर्डर पर सुरक्षा से कम नहीं खाद्यान्न उत्पादन की चुनौती

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पंतनगर। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने कहा कि पंत विश्वविद्यालय हमारे राष्ट्र का गौरव है। देश की सेवा उस समय पर की थी, जब देश आजाद हुआ था। खाद्यान्न का संकट था। आजादी से पहले अकाल पड़ा था। उस समय अकाल से करीब 40 से 50 लाख लोग भूखमरी के शिकार हुए थे। जब भारत का विभाजन हुआ तो 22 मिलियन हेक्टर भूमि पाकिस्तान में चली गई। इसमें उपजाऊ भूमि भी चली गई। जिससे 35 करोड़ की जनता के लिए अन्न पर्याप्त नहीं होता।

पंत विवि की वजह से खाद्यान्न में आत्मनिर्भर हुआ देश

आजादी के समय देश में 50 मिलियन टन खाद्यान्न उत्पादन हुआ था, जो वर्तमान में बढ़कर 340 मिलियन टन उत्पादन हो रहा है। पंत विवि की वजह से देश खाद्यान्न में न केवल आत्मनिर्भर हुआ, बल्कि निर्यात भी कर रहा है। यूक्रेन रूस के बीच युद्ध हुए तो कई देशों में खाद्यान्न का संकट गहराया। ऐसी स्थिति में भारत ने कई देशों को राशन निर्यात किया, देश की सेवा में इससे अंदाजा लगाया जा सकता है।

1960 से पंत विवि से निकल रहे वैज्ञानी
जीबी पंत कृषि और प्रौद्योगिकी विश्वविद्यालय, पंतनगर के 34वें दीक्षांत समारोह में डोभाल ने कहा कि इस विश्वविद्यालय का और यहां के शोध कर्ताओं का अहम योगदान है। यहां से 1960 से विज्ञानी निकल रहे हैं। जिस वक्त देश आजाद हुआ उस समय चीन और भारत का उत्पादन बराबर थी। चीन का क्षेत्रफल भारत से अधिक है, लेकिन चीन में सिर्फ 15 प्रतिशत भूमि पर खेती होती है। वर्तमान में भारत में 1.7 मिलियन स्क्वायर मीटर क्षेत्रफल में और चीन में 1.4 मिलियन स्क्वायर भूमि में खेती होती है, लेकिन चीन का उत्पादन हमारे यहां से तीन गुना ज्यादा होता है।

डोभाल ने कहा कि भारत के कृषि भूमि से कम चीन में होने पर भी वहां उत्पादन अधिक है। हमे अपना प्रोडक्शन बढ़ाना होगा। विद्यार्थियों से कहा की आप सब इसके सैनिक हैं जो उत्पादकता को बढ़ाएंगे। जिस तरह बॉर्डर पर सैनिकों के लिए चुनौती है। इससे कम कृषि विज्ञानियों व शोध कर्ताओं की खाद्यान्न उत्पादन के लिए कम चुनौती नहीं है। अधिक उत्पादन किया जाए जिससे अन्य देश को अधिक से अधिक निर्यात किया जा सके।

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