हल्द्वानी। उत्तराखंड की पुलिस आईजी सहित अनेक उच्चाधिकारियों तक गुहार लगाने के बावजूद एक पत्रकार को उनके बेटे की मौत के मामले में न्याय दिला कर संतुष्ट नहीं कर पाई है। यहां तक कि नैनीताल पुलिस एक पत्रकार संगठन के माध्यम से आईजी से मिलने पर न्याय मिलने के आश्वासन के बावजूद पत्रकार के पुत्र की मौत के मामले में उसे टक्कर मारने वाले ऑटो चालक के खिलाफ ही कोई कार्रवाई कर पाई है, और न ही उस कार का नम्बर ही पता कर पायी है और न ही कार मालिक का, जिसे इस घटना के लिए परोक्ष तौर पर जिम्मेदार माना जा रहा है। वहीं पत्रकार गुप्ता इस मामले के पीछे अन्य कारणों का भी अंदेशा जता चुके हैं। उस बारे में भी पुलिस कुछ नहीं कह रही है।
उल्लेखनीय है कि कि गत 26 अगस्त 2020 को हल्द्वानी के पत्रकार अनुपम गुप्ता के इंटरमीडिएट में पढ़ रहे पुत्र भावेश गुप्ता की शाम 3 बजकर 51 मिनट पर घर से ट्यूशन से निकलने के बाद कथित तौर पर सड़क दुर्घटना में मौत हो गई थी।
इससे पूर्व भावेश के दोस्त मोहित बोरा ने भावेश को फोन कर बताया था कि उसकी स्कूटी में तेल खत्म हो गया है, उसके बाद ही भावेश घर से बाहर निकला, तभी रास्ते में एक ऑटो चालक के टक्कर मारने से भावेश गम्भीर रूप से घायल हो गया एवं अज्ञात ऑटो चालक उसे अपने ऑटो से लेकर सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचा था। उसके बाद भावेश के दोस्त मोहित बोरा के नम्बर से भावेश के घर फोन कर बताया गया कि भावेश सड़क दुर्घटना में घायल हो गया है वह एसटीएच में है। परिजन जब सूचना पर सुशीला तिवारी अस्पताल पहुंचे तो वहां भावेश की मौत हो चुकी थी। इधर भावेश के पिता पत्रकार अनुपम गुप्ता ने बताया कि उन्हें टीपी नगर चौकी में जांच अधिकारी संजय बोरा ने अंतिम रिपोर्ट लगने की जानकारी दी। पत्रकार अनुपम गुप्ता ने इस पर कहा कि वह पुलिस की जांच से संतुष्ट नहीं हैं। उन्होंने कहा कि पुलिस अपनी रिर्पोट में भावेश द्वारा जिस कार को ओवर टेक करने की बात कर रही रही हे पुलिस न तो उस कार का नम्बर ही पता कर पायी है ओर न ही कार मालिक का। वहीं पुलिस के अनुसार जिस ऑटो चालक ने भावेश को टक्कर मारी थी उस पर भी कोई कार्यवाही नहीं की गई है। इससे भावेश के परिजनों में गहरा आक्रोश है। गुप्ता ने कहा कि पुलिस पूरी तरह से े मिलीभगत कर आरोपियों को बचाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने कहा कि अगर उनके बेटे भावेश की मौत पर उन्हें न्याय नहीं मिला तो वह पुलिस के उच्चाधिकारियों से शिकायत करने के साथ ही राज्य बाल आयोग, राज्य मानवाधिकार आयोग, राष्ट्रीय बाल आयोग, राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग सहित र्पदेश के मुख्यमंत्री सहित तमाम सम्बंधित लोगों से शिकायत करेंगे। वहीं जरूरत पड़ी तो वह हाईकोर्ट का दरवाजा भी खटखटायेंगे।