नैनीताल : हाई कोर्ट ने पदोन्नति में आरक्षण मामले में गठित जस्टिस इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट पर अभी तक कोई कार्यवाही न करने पर राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। कोर्ट ने पूछा है कि जस्टिस इरशाद हुसैन कमेटी की रिपोर्ट पर क्या निर्णय लिया, इस पर छह सप्ताह में जवाब दाखिल करें।
सुप्रीम कोर्ट ने भी दिया था आदेश
सचिवालय अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्मिक संगठन के अध्यक्ष वीरेंद्र पाल सिंह ने याचिका दायर कर कहा है कि सर्वोच्च न्यायलय ने 28 जनवरी 2021 को जनरैल सिंह बनाम लक्ष्मी नारायण के केस में आदेश दिए थे कि राजकीय सेवा में राज्य सरकार प्रमोशन में आरक्षण के लिए कैडर वाइज रोस्टर तैयार करे, परन्तु अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया गया।
2016 में कमेटी ने सौंप दी थी रिपोर्ट
याचिका में यह भी कहा गया कि 2012 में पूर्व मुख्य सचिव इंदू कुमार पांडे कमेटी की रिपोर्ट ने माना था कि उत्तराखंड के राजकीय सेवाओं में प्रमोशन में आरक्षण के लिए अनुसूचित जाति एवं जनजाति के लोगों के प्रत्यावेदनों का प्रतिनिधित्व कम है। इसी को लेकर जस्टिस इरसाद हुसैन की कमेटी भी गठित की गई थी। जिसने अपनी रिपोर्ट सरकार को 2016 में सौंप दी थी लेकिन अभी तक कमेटी की रिपोर्ट को सरकार ने सार्वजनिक नहीं किया। दस साल बीत जाने के बाद भी इन्दू कुमार पांडे की रिपोर्ट पर पुनर्विचार भी नहीं किया गया।
अगली सुनवाई 23 को
इसी आधार पर राजकीय सेवाओं में पदोन्नति में आरक्षण के लिए कैडर वाइज रोस्टर बनाये जाने को लेकर उत्तराखंड सचिवालय अनुसूचित जाति एवं जनजाति कार्मिक संघ ने हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की है। जिस पर साेमवार को हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने सरकार को छह सप्ताह के भीतर जवाब दाखिल करने को कहा है। कोर्ट ने सरकार से यह भी बताने को कहा है कि 2016 में सौंपी गई जस्टिस इरसाद हुसैन की रिपोर्ट पर क्या निर्णय लिया गया। अगली सुनवाई 23 फरवरी की तिथि नियत की है।