नैनीताल हाईकोर्ट ने मुख्य सचिव को हर तीन वर्ष में उत्तराखंड के पर्यावरण संरक्षण की जमीनी हकीकत बयान करती एक विस्तृत रिपोर्ट सर्वे ऑफ इंडिया से बनवाने के निर्देश दिए हैं। कोर्ट ने कहा है कि रिपोर्ट में जल, जंगल जमीन के साथ-साथ वायु की स्थिति और पूरे पर्यावरण का लेखाजोखा होना चाहिए। कोर्ट ने यह भी कहा है कि देहरादून, नैनीताल सहित सभी शहरों की ऐसी रिपोर्ट अलग से हर दो वर्ष में तैयार की जाए ताकि अनियंत्रित शहरी विकास को पर्यावरण संरक्षण के साथ संतुलित किया जा सके।
मुख्य न्यायाधीश आरएस चौहान एवं न्यायमूर्ति एनएस धानिक की खंडपीठ के समक्ष देहरादून के समाज सेवी अजय नारायण शर्मा की जनहित याचिका पर सुनवाई हुई। सुनवाई के दौरान जिला अधिकारी देहरादून आर. राजेश कुमार, मसूरी देहरादून विकास प्राधिकरण उपाध्यक्ष ब्रजेश कुमार संत, नगर आयुक्त देहरादून अभिषेक रुहेला और सचिव राजस्व पुरुषोत्तम व्यक्तिगत रूप से मौजूद रहे।
हाईकोर्ट ने इस दौरान जिला अधिकारी देहरादून को 14 दिसंबर तक एक विस्तृत रिपोर्ट पेश करने के लिए कहा है। कोर्ट ने पूछा है कि अतिक्रमण संबंधी शिकायतों की कितनी पत्रावली उनके ऑफिस में एक वर्ष में मिली हैं और उन्होंने उस पर क्या कार्रवाई की है।
कोर्ट ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 15 दिसंबर की तिथि नियत की है। याचिकाकर्ता की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता अभिजय नेगी ने न्यायालय को दून घाटी के पर्यावरण के दोहन की विस्तृत जानकारी दी।