हल्द्वानी: ओखलकांडा के नाई गांव का निवासी पर्यावरण प्रेमी फिर से जंगलों को बचाने और जल संरक्षण की मुहिम में जुट गया है। चंदन ने जंगल में ढलान वाले इलाकों में 200 नए ट्रंच वीयर बनाने का लक्ष्य रखा है। इसमें से 60 का काम पूरा हो चुका है। ढलान एरिया में इसलिए बनाया जा रहा है ताकि आग लगने पर स्थिति पर नियंत्रण पाया जा सके। इससे पूर्व चंदन ने बड़ी संख्या में चाल-खाल और पोखर तैयार किए थे। बगैर किसी सरकारी सहायता के यह सब काम स्थानीय लोगों की मदद से पूरा किया गया था। नाई गांव निवासी चंदन नयाल लंबे समय से पर्यावरण के साथ जल संरक्षण की मुहिम से जुड़ा हुआ है। इस कड़ी में सबसे पहले बांज के पौधों को बढ़ावा दिया गया। पिछले छह साल में करीब 25 हजार बांज के पौधे वह जंगल में लगा चुका है। चंदन के मुताबिक बांज का पौधा पहाड़ को बचाता है।
जंगल में नमी पैदा होने की वजह से पानी का संकट दूर होता है। इसके आसपास हर प्रजाति की वनस्पतियों को पनपने का मौका मिलता है। जबकि चीड़ के पेड़ जंगल के झुलसने की सबसे बड़ी वजह है। कोरोना की पहली लहर के दौरान चंदन ने बड़ी संख्या में जंगल में चाल-खाल और पोखर बनाए थे। ताकि वनों में नमी रहने के साथ वन्यजीवों को पानी भी मिल सके। इसके अलावा वनाग्नि के सीजन में भी जल संचयों के संसाधनों से बड़ी राहत मिली। वहीं, अब देवीधुरा रेंज की खुजेठी बीट के जंगल जो कि ओखलकांडा ब्लाक के चामा तोक का हिस्सा है। वहां 200 ट्रंच वीयर बनाए जा रहे हैं।