हल्द्वानी। पुलिस के बदमाशों से दो-दो हाथ करने के दावे कितने सच है, इसका उदाहरण हल्द्वानी का पूनम हत्याकांड है। हत्यारों की चतुराई के आगे पुलिस को आखिरकार घुटने टेकने पड़ गए। हत्याकांड पर पर्दा डालने के लिए पुलिस ने फाइनल रिपोर्ट (एफआर) लगा दी है। यही सब चलता रहा तो पुलिस से हत्यारों को पकडऩे की उम्मीद करना व्यर्थ होगा।
27 अगस्त 2018 की रात हल्द्वानी के मंडी चौकी क्षेत्र के गोरापड़ाव में ट्रांसपोर्टर लक्ष्मी दत्त पांडे के घर में उनकी पत्नी पूनम और बेटी पर अज्ञात लोगों ने धारदार हथियार से हमला कर दिया था, जिसमें पूनम की मौत हो गई थी, जबकि बेटी कई दिनों तक अस्पताल में मौत से जूझती रही। इस बहुचर्चित हत्याकांड के पर्दाफाश के लिए पुलिस की कई टीमें लगाई गईं। देहरादून तक इस हत्याकांड की गूंज उठी, मगर वारदात से पर्दा तीन साल बाद भी नहीं उठ सका।
इस हत्याकांड पर बड़े परिवारों के लोगों के नाम भी सामने आए थे। पुलिस ने पूछताछ के लिए उन्हें हिरासत में भी लिया था लेकिन कोई सुबूत न मिलने पर उन्हें छोड़ दिया गया था। हत्यारों को पकडऩे में नाकाम साबित हुई पुलिस ने अब आखिरकार अपना पल्ला झाडऩे के लिए एफआर लगा दी है।
पॉलीग्राफ टेस्ट भी नहीं आया काम
वर्तमान डीजीपी व तत्कालीन अपर पुलिस महानिदेशक कानून व्यवस्था अशोक कुमार ने पूनम हत्याकांड को गंभीरता से लिया था। उन्होंने कई दांवपेंच आजमाए। पांच-छह लोगों के पॉलीग्राफ टेस्ट भी कराए गए थे, मगर फॉरेंसिक साइंस लैब के संयुक्त निदेशक डा. दयालशरण शर्मा ने बताया कि पॉलीग्राफ टेस्ट में हत्यारोपित ट्रेस नहीं हो सके।
एसएसपी जन्मेजय खंडूरी के कार्यकाल में हुआ था मर्डर
पूनम हत्याकांड की वारदात तत्कालीन एसएसपी जन्मेजय खंडूरी के कार्यकाल में हुई थी। एसएसपी खंडूरी ने अपना कार्यभार ग्रहण करने के दौरान अपराध पर रोक लगाने और पुराने हत्याकांडों का खुलासा करने का दावा किया था। लोगों को हैरानी तब हुई, जब वह अपने कार्यकाल में हुई पूनम हत्याकांड का ही खुलासा करने में फेल हो गए।
एसआइटी ने भी मान ली थी हार
हत्याकांड चर्चा में आने के बाद मामला हाईकोर्ट भी पहुंच गया था। चार सितंबर 2018 को कोर्ट ने एसआइटी टीम गठित करने के आदेश जारी कर दिए थे। तब कोर्ट ने दो हफ्ते में जांच रिपोर्ट पेश करने को कहा था, मगर यह टीम भी वारदात का पर्दाफाश नहीं कर सकी।
आइजी व डीआइजी समेत तीन एसएसपी फेल
पूनम हत्याकांड का पर्दाफाश करने में अफसर भी फेल साबित हुए। हत्याकांड के बाद कुमाऊं को आइजी अजय रौतेला, डीआइजी जगतराम जोशी के अलावा जिले को एसएसपी जन्मेजय खंडूरी, एसएसपी सुनील कुमार मीणा और अब प्रीति प्रियदर्शिनी मिली, लेकिन कोई अधिकारी इस हत्याकांड का खुलासा नहीं कर सका। अफसरों की सरपरस्ती में पुलिस ने पूनम हत्याकांड पर पर्दा डाल दिया।
एसपी सिटी डा. जगदीश चंद्र का कहना है कि पूनम हत्याकांड के पर्दाफाश के लिए तमाम प्रयास किए गए। पुलिस और एसओजी ने कई महीनों तक जिले के साथ ही बाहरी राज्यों में भी दबिशें दी थीं। फिर भी हत्यारों का आज तक पता नहीं चल सका। इस मामले में कुछ समय पहले ही एफआर लगा दी गई है।