नैनीताल : हाई कोर्ट ने राज्य में प्लास्टिक निर्मित कचरे पर पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाने को लेकर दायर जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान सख्त रुख अपनाते हुए अधिकारियों को कागजों पर नहीं, फील्ड में उतरकर काम करने की सख्त हिदायत दी है।
कोर्ट ने प्रदेश की सभी जिला पंचायतों को नोटिस जारी कर पूछा है कि उन्होंने कूड़ा निस्तारण के क्या इंतजाम किए हैं। मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आरसी खुल्बे की खंडपीठ ने कहा कि वह प्रदेश को साफ सुथरा देखना चाहती है। इसलिए समाज को जागरूक करना जरूरी है।
कोर्ट ने पूर्व के आदेश के क्रम में सभी जगहों में सालिड वेस्ट फेसिलिटी का संचालन अगली तिथि तक सुनिश्चित करने के निर्देश कुमाऊं और गढ़वाल के कमिश्नर को दिए हैं।
कोर्ट ने राज्य सरकार से उत्तराखंड में कार्यरत सभी प्लास्टिक पैकेजिंग कंपनियों को एक्सटेंडेड प्रोड्यूसर्स रिस्पांसबिलिटी (ईपीआर) प्लान पोर्टल पर अपलोड करने को कहा है। केंद्र सरकार में पंजीकृत व उत्तराखंड में संचालित कंपनियों को कल्ट बैग प्लान राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के साथ साझा करने को कहा है।
राज्य सरकार को यह भी आदेश दिए हैं कि राज्य की सीमा में जितने भी वाहन बाहर से आते हैं, उनमें पोर्टेबल डस्टबिन लगाने की व्यवस्था की जाए। इसी क्रम में कंपनियों को आदेश दिए हैं कि जिन्होंने अपना रजिस्ट्रेशन राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड में नहीं किया है वे 15 दिन के भीतर अपना पंजीकरण अवश्य करा लें।
कोर्ट ने साफ कहा कि यह अंतिम मौका दिया जा रहा है इसके बाद अवसर नहीं दिया जाएगा। सुनवाई के दौरान कुमाऊं कमिश्नर दीपक रावत व गढ़वाल कमिश्नर रविनाथ रमन सहित प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के सदस्य सचिव सुशांत पटनायक पेश हुए। अगली सुनवाई फरवरी दूसरे सप्ताह में होगी।