बदरीनाथ के पहाड़ों में उगाई जाने वाली हल्दी लोगों के लिए लाभदायक

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काशीपुर। आईआईएम काशीपुर का एक स्टार्टअप कुछ ऐसा कर रहा है जो हर वर्ग के लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। बदरीनाथ के पहाड़ों में उगाई जाने वाली हल्दी से हल्दी विटा उत्पाद बनाया गया है। यह एक सुवर्ण हल्दी है जो 16 से 18 महीनों में विकसित होती है। इसे आसान भाषा में बूढ़ी हल्दी भी कहा जाता है।

हम सभी जानते हैं की हल्दी का महत्व हमारे जीवन में बहुत है और यह हमारे लिए बहुत ही लाभदायक है, पर क्या कभी सोचा है कि इस पर भी एक स्टार्टअप बन सकता है। आईआईएम काशीपुर का एक स्टार्टअप हल्दी विटा कुछ ऐसा कर रहा है जो हर वर्ग के लोगों के लिए वरदान साबित हो रहा है। 
 

समीर गुप्ता और अंकित खंडूरी ने दो साल के रिसर्च के बाद हल्दी विटा को स्टार्ट किया और लोगों को अपने प्रोडक्ट से बताया कि हल्दी का कितना महत्व है। समीर गुप्ता बताते हैं कि उन्होंने खुद इसे 9 महीने तक स्वयं पर प्रयोग किया है, इसके प्रयोग से उनका हाई कोलेस्ट्रॉल और डायबिटीज एकदम ठीक हो गया।

उनके हल्दी विटा ने राष्ट्रीय स्तर पर काफी अवॉर्ड जीते हैं जिसे आईआईएम काशीपुर ने सराहा है। अंकित की मानें तो यह एक ऐसा स्टार्टअप है जिससे उन्हें अपने पुराने भारत के आयुर्वेद को बरकरार रखने का मौका मिला।

आज वह ऑनलाइन की मदद से अपने भारतीय स्टार्टअप हल्दी विटा को दुनिया तक पहुंचा रहे हैं। आईआईएम काशीपुर फीड के सीईओ शिवानंद दास बताते हैं कि हल्दी विटा की सबसे अच्छी बात यह है कि इसे बच्चे भी दूध के साथ पीते हैं क्योंकि इसमें वो कच्ची हल्दी वाली महक नहीं आती। यही इसका सबसे बड़ा इनोवेशन है।
 

मूल रूप से पौड़ी के रहने वाले अंकित खंडूरी बताते हैं कि उन्होंने और जयपुर निवासी समीर ने वर्ष 2017 में अपना स्टार्टअप शुरू किया था। उनका मुख्य ऑफिस नोएडा में है लेकिन प्रोडक्शन समेत अन्य काम उत्तराखंड में ही होते है। उनके स्टार्टअप के माध्यम से 70 परिवार जुड़े हुए हैं। 

उन्होंने बताया कि चमोली जिले के पीपलखोटी में हल्दी की खेती होती है। चूंकि हल्दी की फसल को चूहे, लंगूर और बंदर नुकसान नहीं पहुंचाते हैं इसलिए इसकी खेती सबसे लाभदायक साबित होती है। खंडूरी ने बताया कि कोरोना काल में उनके उत्पाद की डिमांड अधिक हो गई है। जबकि माल की कमी हो गई है। 

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