नैनीताल। नैनीताल में पिछले सालों तक जनवरी में ही कई दौर का हिमपात हो जाता था लेकिन फरवरी शुरू हो गया और इस बार बर्फबारी की दूर दूर तक उम्मीद नहीं है। मौसम विशेषज्ञों की मानें तो ऐसा पश्चिमी विक्षोभ के पूरी तरह से सक्रिय न होने के कारण हुआ है।
बता दें कि दिसंबर- जनवरी में नैनीताल और इसके आसपास के ऊंचाई वाले क्षेत्रों भवाली, मुक्तेश्वर, धानाचूली, गागर आदि क्षेत्रों में होने वाली बर्फबारी स्थानीय लोगों के साथ-साथ सैलानियों के आकर्षण का मुख्य केंद्र रहती है। बर्फबरी के दौरान बड़ी संख्या में सैलानी इन क्षेत्रों में उमड़ते हैं और पर्यटन व्यासासियों को खासा रोजगार भी मिलता है।
लेकिन इस बार मौसम का मिजाज एकदम जुदा है। जाड़ों में ठंड के बजाए दिन की चटख धूप में पसीना निकालने वाली गर्मी है, हां सुबह शाम ठ़ड जरूर पड़ रही है। वहीं जनवरी बीत गया, लेकिन बर्फबारी की कहीं कोई उम्मीद नहीं है। मौसम वैज्ञानिकों की मानें तो इस बार पश्चमी विक्षोभ के सक्रिय न होने के कारण यह स्थिति बनी है। विशेषज्ञ बताते हैं कि अभी दूर-दूर तक नैनीताल में हिमपात के आसार नहीं हैं।
पिछले साल जनवरी में छह बार गिरी बर्फ
वर्ष 2019 में नैनीताल में मौसम का पहला हिमपात 13 दिसंबर को हुआ था और उसके बाद एक दो बार हल्की बर्फबारी हुई जबकि पिछले साल तीन जनवरी को पहला हिमपात हुआ और अकेले जनवरी में ही पांच बार क्रमशः चार जनवरी, आठ जनवरी, 17 जनवरी, 18 जनवरी को बर्फ गिरी। उसके बाद 21 फरवरी और 6 मार्च को भी हिमपात हुआ था।
कब कितना हुआ हिमपात
नैनीताल में जनवरी 2014 में 1.5 फुट, दिसंबर 2015 में 7 सेमी, दिसंबर 2016 में 9 सेमी, दिसंबर 2017 में 3 सेमी, दिसंबर 2018 में 8 सेमी, जनवरी 2019 में 13 सेमी, 8 जनवरी 2020 को 1.5 फुट बर्फवारी रिकार्ड की गई। आठ जनवरी को हुई बर्फबारी ने बीते पांच साल का रिकार्ड तोड़ा था।
अभी तक 2500 मीटर से ऊंचे क्षेत्रों में हिमपात हुआ है, उससे नीचे नहीं। पश्चिमी विक्षोप के सक्रिय न होने के कारण यह स्थिति बन रही है। दिसंबर जनवरी में पश्चिमी विक्षोभ सक्रिय हुआ लेकिन असरदार साबित नहीं हुआ जिस कारण मौसम पूरी तरह से शुष्क है। अभी फिलहाल निचले क्षेत्रों में हिमपात के आसार नहीं हैं।
डा.आरके सिंह वरिष्ठ मौसम वैज्ञानिक पंतनगर विश्वविद्यालय पंतनगर।