हल्द्वानी। उत्तराखंड भाजपा के वरिष्ठ नेता एवं उत्तर प्रदेश सरकार में वन एवं कानून मंत्री रहे दिवंगत श्रीचंद के परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है। एक सप्ताह के भीतर श्रीचंद सहित उनके एक पुत्र और दो पुत्रियों का निधन हो गया। श्री चंद का अधिकांश जीवन नैनीताल में ही बीता। कुछ समय से वह चलने में असमर्थ थे और हल्द्वानी में रहने लगे थे।
श्रीचंद के पुत्र मुकेश का दस दिन पूर्व नैनीताल में निधन हो गया था। मुकेश कुमाऊं विवि के बायोटेक विभाग में कार्यरत थे। उसके दो दिन बाद गत रविवार दो मई को लंबी बीमारी के बाद श्रीचंद का भी निधन हो गया था। अभी इन सदस्यों का पीपलपानी संस्कार भी नहीं हो पाया था कि दो दिन पूर्व नैनीताल में ही रह रही उनकी दो पुत्रियों मीना और मंजू का भी निधन हो गया।
इस परिवार के निकट पड़ोसी और परिवारजनों के घनिष्ठ मित्र भाजपा से जुड़े पुनीत टंडन ने घटनाक्रम की जानकारी देते हुए बताया कि स्व. श्रीचंद की लगभग साठ वर्षीय अविवाहित पुत्रियां मीना और मंजू भाइयों के साथ ही यहां भाबर हॉल में रहती थीं। 7 मई को उनका स्वास्थ्य बिगड़ने पर परिजन उन्हें हल्द्वानी लेकर गए तो एक बहन की रास्ते में ही मृत्यु हो गई, जबकि दूसरी बहन का हल्द्वानी के एक अस्पताल में निधन हो गया। स्व. श्रीचंद पत्नी का कई साल पहले निधन हो गया था।
एक सप्ताह के भीतर अचानक चार सदस्यों के निधन के बाद उनके शोक संतप्त परिवार में अब दो पुत्र संजय व सुनील हैं। बता दें कि 86 वर्षीय श्री चंद ने अविभाजित उत्तर प्रदेश में 1977 से 1979 तक वन एवं कानून मंत्री के रूप में कार्य किया था। वर्ष 1977 में वह जनता पार्टी के टिकट पर चुनाव जीते थे। वर्ष 2001 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता ग्रहण की, और वर्ष 2002 तथा 2007 में मुक्तेश्वर विधानसभा क्षेत्र से भाजपा प्रत्याशी के रूप में चुनाव लड़ा । पेशे से अधिवक्ता रहे श्रीचंद की छवि एक ईमानदार व स्पष्टवादी नेता की थी।