बनभूलपुरा हिंसा मामले में पुलिस ने मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक के घर की कुर्की भी कर दी है, पोस्टर भी लगवा दिए हैं, लेकिन अभी तक उसका ठिकाना पुलिस नहीं ढूंढ सकी है। पुलिस की चार से पांच टीमें मलिक को पकड़ने के लिए लगी हुई हैं, लेकिन 15 दिन बीतने के बाद भी हाथ खाली हैं। बड़ा सवाल यह है कि मलिक आखिर कहां गया। खुफिया तंत्र भी मलिक की जानकारी नहीं जुटा सका है। इससे उत्तराखंड पुलिस की कार्यशैली पर सवाल खड़े होने लगे हैं।
बनभूलपुरा में आठ फरवरी की शाम हुई हिंसा का मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक को बताया गया है। मलिक के हल्द्वानी में बने घर, संस्थान सहित अन्य संपत्तियों की जानकारी पुलिस को मिल चुकी है, लेकिन मलिक की गिरफ्तारी के मामले में पुलिस के हाथ खाली हैं। यूं तो उत्तराखंड पुलिस को मॉर्डनाइज करने की खूब बातें होती हैं, खुफिया तंत्र को भी अपग्रेड करने के दावे किए जाते रहे हैं, छोटे मामलों के फरार आरोपियों को पुलिस बंगाल, बिहार, महाराष्ट्र, दिल्ली आदि कई शहरों से पकड़कर ले आती है, मगर बनभूलपुरा में पथराव और आगजनी का मुख्य आरोपी अब्दुल मलिक और उसके बेटे अब्दुल मोईद के बारे में नैनीताल पुलिस जानकारी तक नहीं जुटा सकी है।
बताया जा रहा है कि पुलिस की चार से पांच टीमें मलिक की तलाश में दिल्ली, उत्तर प्रदेश, बिहार, राजस्थान, हरियाणा सहित अन्य शहरों में घूम रही हैं। मगर हिंसा के बाद 15 दिन बीतने के बावजूद पुलिस के हाथ खाली हैं। पुलिस सिर्फ कागजी दबाव डालने में ही जुटी नजर आ रही है। पुलिस ने अब्दुल मलिक और उसके बेटे अब्दुल मोईद के खिलाफ लुक आउट नोटिस भी जारी किया हुआ है, ऐसे में दोनों बाप-बेटे अंडरग्राउंड हैं, या फिर किसी के संरक्षण में रह रहे हैं, यह भी सवाल खड़े होने लगे हैं।