रकसिया व कलसिया समेत अन्य नालों के आसपास रहने वाली आबादी पर संकट

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हल्द्वानी :बरसात का दौर शुरू होते ही रकसिया व कलसिया समेत अन्य नालों के आसपास रहने वाली आबादी पर संकट आ चुका है। एक हफ्ते में दो बार लोग नुकसान उठा चुके हैं। सबसे खतरनाक रकसिया नाला है जो दमुवाढूंगा से लेकर छड़ायल तक पहुंचता है। हालांकि, बड़ा सवाल मानसून से पहले सफाई को लेकर है, जिसे नगर निगम ने फॉरेस्ट के अड़ंगे से जोड़ दिया है। उसका कहना है कि चंबल पुल से करीब डेढ़ किमी दमुवाढूंगा के ऊपरी क्षेत्र तक यानी जिस इलाके से नाले में दबाव के साथ पानी व मलबा आता है। वहां फॉरेस्ट लैंड की वजह से सफाई की अनुमति नहीं है और यही बाढ़ की वजह है।

तीन दिन पहले हल्द्वानी की सड़कें तालाब में तब्दील हो गई थीं। दमुवाढूंगा व काठगोदाम के बद्रीपुरा आदि इलाके के घरों को नुकसान पहुंच गया। रकसिया नाला ऊपर पहाड़ी क्षेत्र से आता है। हर साल अफसर दावा करते हैं कि बारिश से पहले मलबा हटा दिया गया है। किनारों के बजाय पानी का बहाव सीधा होगा और आबादी को कोई खतरा नहीं होगा। मगर एक तेज बारिश ने इन दावों को भी बहा दिया। अब चंबल पुल से ऊपर के इलाके को वन विभाग अपने गजट में शामिल बता रहा है। जिस वजह से मुख्य जगहों पर जमा मलबे को साफ ही नहीं किया जा सकता।

सिंचाई विभाग का सफाई से क्या मतलब

सिंचाई विभाग ने नालों की सफाई से साफ मना कर दिया। ईई तरुण बंसल से पूछने पर उन्होंने कहा कि नाले में गंदगी को हटाने का जिम्मा नगर निगम का है। सिंचाई विभाग का काम काश्तकारों को नहरों से पानी उपलब्ध कराना है। बंसल के मुताबिक, अगर जिला प्रशासन की तरफ से उन्हें कोई बजट उपलब्ध कराया जाता है तो इस पर विचार किया जाएगा।

क्‍या कहते हैं स्‍थायी निवासी

बद्रीपुरा काठगोदाम निवासी मो.कयूम ने कहा कि सुरक्षा दीवार कमजोर होने के कारण कभी भी हादसे का डर बना हुआ है। नए सिरे से काम करने की जरूरत है। तब जाकर राहत मिलेगी। संतोष कहते हैं कि पूर्व में डा. इंदिरा हृदयेश ने सात लाख का बजट देकर सुरक्षा दीवार बनवाई थी। उसके बाद से काम नहीं हुआ। बारिश हमारे लिए खतरा बनकर आती है।

वन विभाग नहीं देता सफाई की अनुमति

नगर आयुक्त सीएस मर्तोलिया ने बताया कि नहर-नालों की क्षमता के हिसाब से निगम सफाई करवाता है। मगर बरसात इन्हें ओवरफ्लो कर देती है। नैनीताल रोड पर तीन दिन पहले पेड़ का हिस्सा फंसने से भी दिक्कत आई थी। चंबल पुल से ऊपर वन विभाग जमीन के स्वामित्व की बात कहकर मशीन से सफाई की अनुमति नहीं देता।

हर साल नौ लाख फूंके

आरटीआइ के मुताबिक 2014 से 2018 के बीच नगर निगम ने शहर के नालों की सफाई में करीब 46 लाख रुपये खर्च कर दिए। वहीं, पिछले दो सालों में भी सफाई को लेकर पैसा बहाया गया। निगम का दावा है कि उसका काम पूरा है। नहर ओवरफ्लो या अचानक गंदगी घुसने से जलभराव की स्थिति पैदा होती है।

 

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