हल्द्वानी :विधानसभा चुनाव को लेकर प्रदेश में माहौल गरम है। दल-बदल का मुद्दा भी अभी जारी है। हर विधानसभा सीट की मजबूती के लिए राजनीतिक दल सियासी बिसात बिछाने में जुटे हैं। वहीं राजनेता भी अपने लिए सुरक्षित क्षेत्र की तलाश कर रहे हैं। कुमाऊं की हाट सीट में शामिल रही रानीखेत की बात करें तो यह सीट पिछले कुछ महीनों से खास चर्चा में है।
रानीखेत केंद्रीय रक्षा व पर्यटन राज्य मंत्री अजय भट्ट का गढ़ माना जाता रहा है। जहां उनका अच्छा-खासा प्रभाव भी है। वह वर्तमान में नैनीताल लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं, लेकिन उन्होंने रानीखेत की विधानसभा सीट से भी घेराबंदी शुरू करवाई है ताकि भाजपा के पक्ष में बेहतर माहौल बना रहे। 2017 के विधानसभा चुनाव में इस क्षेत्र से अजय भट्ट ने चुनाव लड़ा था। तब बागी होकर भाजपा के ही प्रमोद नैनवाल भी खड़े हो गए थे। उस समय अजय भट्ट को हार का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस के प्रत्याशी करन माहरा चुनाव जीत गए।
अब 2022 में विधानसभा चुनाव होने हैं। इसके लिए चार-पांच महीने का ही समय है। ऐसे में पहले से ही केंद्रीय राच्य मंत्री अजय भट्ट ने इस सीट पर राजनीतिक घेराबंदी शुरू करवा रखी है। चर्चा है कि वह किसी अपने करीबी या फिर पत्नी पुष्पा भट्ट को चुनाव लड़वा सकते हैं। इसके लिए हल्द्वानी से वरिष्ठ भाजपा नेता रानीखेत में चुनाव को लेकर माहौल तैयार करने में जुटे हैं। हालांकि क्षेत्र में मौजूदगी और तैयारी को देखते हुए इस वरिष्ठ नेता के भी चुनाव लडऩे की चर्चा होने लगी है। इसके लिए बैठकों से लेकर हर तरह के आयोजनों में शामिल होने का दौर चल रहा है। इससे स्थानीय नेताओं में छटपटाहट भी बढ़ी है।
फिलहाल टिकट किसे मिलेगा, यह तय नहीं है। मगर स्थानीय स्तर पर धन सिंह रावत, ज्योति शाह मिश्रा के अलावा स्वर्गीय बची सिंह रावत बचदा के पुत्र शशांक रावत की भी क्षेत्र में सक्रियता दिखाई दे रही है। कैलाश चंद्र, विमला रावत भी अपने-अपने स्तर से तैयारी में हैं। इस बीच अजय भट्ट भी अल्मोड़ा जिले में ही हैं। अपने गांव धनकल द्वाराहाट में पूजा-पाठ के लिए पहुंचे हैं। उनके इस दौरे को लेकर भी क्षेत्र में और सियासी हलचल बढ़ गई है।