रामनगर। पर्यावरण से संरक्षण के लिए कुछ करने का जज्बा अगर हो तो लाख बाधाओं के बाद भी सफलता कदम चूमने लगती है। पर्यावरण संरक्षण के प्रति दीवानगी अगर देखनी हो तो पर्यावरण मित्रो के समूह में आकर देखिए। जिसने बंजर, पथरीली रोखड़ जमीन पर में जो पौध लगाई वह आज हरियाली के साथ साथ लोगो को ऑक्सीजन देने में जुट गई है। वैसे कल्पतरु वृक्ष मित्र समूह पूरे साल भर पौध रोपण के काम मे लगा रहा है। कुछ लोग उनकी इस दीवानगी को पागलपन की संज्ञा भी देते है। मगर इन सबकी परवाह किये बिना इस समूह न केवल पौधों को जन सहयोग से रोपित करता है बल्कि खुद उनके संरक्षण की दिशा में काम करता है। कुँवर दामोदर राठौर पार्क ,फाइकस गार्डन, कोसी बायोडायवरसिटी पार्क की सफलता इनके जुनून को प्रदर्शित करती है मगर इससे हटकर सबसे महत्वपूर्ण यह है कि आमडण्डा में वन विभाग की बंजर पड़ी भूमि को इन्होंने चार सालों में हरा भरा बना दिया।
वन महकमा हारा पर जुनून जीता
आम डंडा क्षेत्र में वन विभाग के अलावा कई संगठनों ने कई बार यहां पौध रोपित की मगर रोखड़(पथरीली जमीन) होने की वजह से वहां एक भी पौधा सरसब्ज नही हो पाया। चार साल पहले कल्पतरु की टीम ने इस भूमि पर पौध रोपण अभियान शुरू किया और संकल्प लिया कि इस बंजर भूमि को हरा भरा करके ही दम लेंगे। लोगो ने कहा कि यह तो पत्थर में सिर मारने के बराबर है। पर लोगो की परवाह न करते हुए इन पर्यावरण मित्रो ने चार साल पहले इस बंजर भूमि पर पौधा रोपण किया।
ऐसे शुरू किया अभियान
इस जुनूनी टीम में सबसे पहले तीन फीट गहरे गड्ढे खोदे, फिर उसमें गोबर,नीम ओर मुर्गी के दाने की खाद डाली। फिर बरगद, पीपल, देशी आम,, सहजन, गूलर, पुत्रंजीवा, आंवला, अमलतास, मौलश्री, सेमल के पचास पोधे रोपित किये। बाधाएँ भी कम नही आई जंगल से सटा क्षेत्रभो जाने के कारण कभी जंगली जानवरों द्वारा तो कभी असमाजिक तत्वों द्वारा इंन पौधों को नुकसान पहुचाया गया मगर लगातार तीन साल तक इनकी परवरिश में कोई कसर इन पर्यावरण मित्रो ने नही छोड़ी। कल्पतरु वृक्ष मित्र के अद्यक्ष अतुल मेहरोत्रा व सचिव मितेश्वर आनंद कहते है कि चार साल पहले लगाए पोधे आज बीस फीट की ऊँचाई पर पहुचकर आसमान छूने को बेताब है।
मल्टीबैगर रिटर्न : वित्त जगत और प्रकृति – किसका कितना हक़
आर्थिक व वित्त जगत में एक अच्छा निवेश वह होता है जो एक नियत समय के पश्चात बहुत बढ़िया लाभ देता है। जितना अच्छा निवेश उतना बढ़िया रिटर्न। कैपिटल मार्केट्स में ऐसे ही किसी निवेश के लिए मल्टीबैगर रिटर्न शब्द का प्रयोग किया जाता है। इस प्रकार के निवेश में चार या पांच सालों में ही छह आठ,दस गुना या ज्यादा रिटर्न मिल जाता है।अब कॉर्पोरेट दुनिया का मल्टीबैगर रिटर्न शब्द टीम कल्पतरु के पागलपन ने इस शब्द को नए परिवेश में अधिक सार्थक अर्थ प्रदान किया है। क्योंकि वित्त वाला मल्टीबैगर रिटर्न व्यक्तिगत लाभ पर केंद्रित होता है और यहां वाला मल्टीबैगर रिटर्न प्रकृति और पर्यावरण केंद्रित हैं जिस पर मानव-पशु, पक्षी, कीट-पतंग, तृण-गुल्म सभी का सामान अधिकार है। प्रकृति की यह अवधारणा दूर वहाँ वित्त जगत तक अवश्य पहुंचेगी।