रेल हादसों से हाथियों को बचाने के लिए लगाए जा रहे थर्मल सेंसर

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नैनीताल। राजाजी टाइगर रिजर्व के हाथियों के साथ तेंदुआ, बाघ जैसे वन्यजीवों की निगरानी के साथ ही रेल हादसों से बचाने के लिए अत्याधुनिक थर्मल सेंसर लगाए जा रहे हैं। भारतीय वन्यजीव संस्थान और चंडीगढ़ की निजी कंपनी की मदद से तैयार किए गए विशेष थर्मल सेंसर को लगाने का काम शुरू कर दिया गया है।

पहले चरण में कासरो रेलवे स्टेशन के पास थर्मल सेंसर लगाया है। दिलचस्प पहलू यह है कि थर्मल सेंसर लगाए जाने के बाद हाथियों का झुंड रेलवे की लाइन की ओर आ गया और थर्मल सेंसर ने तत्काल इसकी जानकारी टाइगर रिजर्व के अधिकारियों को दे दी। जानकारी मिलते ही टाइगर रिजर्व के अधिकारी और कर्मचारी तत्काल मौके पर पहुंचे और हाथियों के झुंड को जंगल की ओर खदेड़ दिया। सेंसर लगाए जाने के साथ ही टाइगर रिजर्व अधिकारियों, कर्मचारियों ने भी राहत की सांस ली है। निदेशक डीके सिंह ने बताया कि अगले चरण में हरिद्वार से लेकर देहरादून के बीच जितने भी रेलवे स्टेशन है, वहां पर थर्मल सेंसर लगाए जाएंगे। ताकि, हाथियों का झुंड जैसे ही रेलवे लाइन की तरफ आए तो इसकी जानकारी तत्काल मिल जाए।

डीके सिंह ने बताया कि थर्मल सेंसर के जरिए रेलवे लाइनों के आसपास हाथियों के झुंड की जानकारी मिलेगी तो रेलवे अधिकारियों को भी जानकारी देकर ट्रेनों की गति को बेहद कम रफ्तार से टाइगर रिजर्व क्षेत्र में गुजारने के लिए कहा जाएगा। बता दें कि टाइगर रिजर्व के हाथों को रेलवे लाने की जानकारी हासिल करने के लिए थर्मल सेंसर लगाए जाने की योजना पर काम पिछले तीन साल से किया जा रहा था।

दो दशक में तीस से अधिक हाथी ट्रेन हादसों में गवा चुके हैं जान
वन विभाग के आंकड़ों पर नजर डालें तो पिछले दो दशक के भीतर राजाजी टाइगर रिजर्व के 30 से अधिक हाथी ट्रेनों की चपेट में आकर अपनी जान गवां चुके हैं। टाइगर रिजर्व क्षेत्र में ट्रेनों की रफ्तार को भी 35 किलोमीटर प्रति घंटा निर्धारित किया गया है। हाथी रेलवे लाइनों की ओर न जा पाए इसके लिए रिजर्व अधिकारियों की अगुवाई में वनकर्मियों की टीमें दिन-रात गश्त करती हैं, लेकिन तमाम कोशिशों के बावजूद हाथियों के साथ होने वाले हादसों को रोका नहीं जा सका है, लेकिन अब जबकि थर्मल सेंसर लगाए जा रहे हैं तो इस बात की उम्मीद जगी है कि हाथियों को ट्रेन हादसों से बचाया जा सकेगा।

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