नैनीताल : केंद्रीय प्रशासनिक ट्रिब्यूनल (कैट) की नैनीताल सर्किट बेंच के प्रशासनिक सदस्य तरुण श्रीधर व न्यायिक सदस्य प्रतिमा के गुप्ता की संयुक्त पीठ ने आइएफएस संजीव चतुर्वेदी के लोकपाल में प्रतिनियुक्ति के आवेदन पर केंद्र सरकार को उदारता व खुलापन दिखाते हुए निर्णय लेने का निर्देश दिया। बेंच ने 25 जनवरी तक मामले में कार्रवाई से भी अवगत कराने के लिए कहा।
अक्टूबर 2019 में मुख्य वन संरक्षक अनुसंधान, हल्द्वानी संजीव चतुर्वेदी ने प्रदेश सरकार के खिलाफ की गई अपनी कार्रवाई का उल्लेख करते हुए केंद्र सरकार के अंतर्गत लोकपाल में कार्य करने के लिए प्रतिनियुक्ति के लिए आवेदन किया था। लोकपाल की स्थापना 2013 में संसद से पारित कानून के तहत की गई है। इसे प्रधानमंत्री से लेकर अधिकारी-कर्मचारियों के भ्रष्टाचार के मामलों की जांच का अधिकार है। संजीव के प्रार्थना पत्र पर उत्तराखंड सरकार ने अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी कर अपनी संस्तुति दिसंबर 2019 में केंद्रीय वन एवं पर्यावरण मंत्रालय को भेज दी। इसके बाद मामला प्रदेश सरकार व केंद्रीय मंत्रालय के बीच उलझा है।
मंत्रालय ने प्रदेश सरकार से लोकपाल में भर्ती के लिए निकाले गए विज्ञापन की प्रति मांगी। इसपर संजीव ने जवाब दिया कि जिस तरह केंद्र सरकार के ग्रुप ए सेवा के अधिकारियों को लोकपाल में प्रतिनियुक्ति पर लिया गया है, वही प्रक्रिया उनके मामले में भी अपनाई जाए। इन अधिकारियों को प्रतिनियुक्ति पर लेने के लिए विज्ञापन प्रकाशित नहीं हुआ। इसमें किसी अधिकारी के पास भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई का अनुभव नहीं था। इस मामले में अगस्त 2020 में संजीव ने कैट की नैनीताल सर्किट बेंच में याचिका दायर कर दी। कैट ने केंद्र व राज्य सरकार को नोटिस जारी किया। इसी मामले में पिछले साल 30 सितंबर को कैट ने संजीव के पक्ष में अंतरिम आदेश पारित कर उनको उत्तराखंड सरकार से दी गई एनओसी में किसी तरह की छेड़छाड़ पर रोक लगा दी थी। वहीं, 15 दिसंबर 2021 को हुई सुनवाई में बेंच ने केंद्र सरकार को प्रतिनियुक्ति में उदारता दिखाने का आदेश दिया।