रामनगर : रामनगर वन विभाग ने छोटे स्केल पर बिजली का उत्पादन करने की पहल की है। देचौरी रेंज पवलगढ़ में गांव में बहने वाली छोटी नहर में सयंत्र स्थापित कर बिजली उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ाया है। अभी प्रयोग के तौर पर वन विभाग ने इसे लगाया है। यदि यह सफल होता है तो वन विभाग इसे अपनी रेंज में भी प्रयोग करेगा।
रामनगर वन प्रभाग के अंतर्गत देचौरी रेंज में एक कंपनी की मदद से जल शक्ति की मदद से बिजली उत्पादन करने के लिए सिंचाई नहर में सरफेस हाइड्रो काइनेटिक टरबाइन सयंत्र लगाया गया है। नहर में 60 मीटर में 21-21 मीटर की दूरी में पांच-पांच किलोवाट के तीन सयंत्र लगाए गए हैं। वन विभाग का लक्ष्य एक टरबाइन से एक घंटे में पांच किलोवाट बिजली पैदा करना है। यदि नहर में पानी का वेग ठीक रहा तो तीन टरबाइन से 24 घंटे में 360 किलोवाट बिजली पैदा होगी। पिछले एक साल से वन विभाग इसमें जुटा था।
इस योजना में 18 लाख रुपये की लागत आई है। इस सयंत्र से बिजली का उत्पादन शुरू हो गया है। वन विभाग का पवलगढ़ वन विश्राम इसी बिजली से जगमग होने लगा है। वन चौकी को भी इसी बिजली से रोशन किया जाएगा। हालांकि बिजली कितना पैदा हो सकेगी यह नहर में पानी के वेग पर निर्भर करेगा। वन विभाग का कहना है कि यदि बिजली का उत्पादन अच्छा हुआ तो ग्रिड के जरिए बिजली अन्य जगह भी पहुंचाई जा सकती है। अभी अतिरिक्त बिजली को बैटरी में स्टोर किया जा रहा है।
रामनगर वन प्रभाग डीएफओ चंद्रशेखर जोशी का कहना है कि वन विभाग ने पहली बार नहर से बिजली पैदा करने के लिए नई पहल की है। सयंत्र को नहर में स्थापित कर दिया है। तीन टरबाइन 15 किलोवाट की है। इसके सफल रहने पर जहां दूरस्थ वन चौकियों में बिजली के कनेक्शन नहीं है। उन जगह में भी छोटी टरबाइन के जरिए नहर या जलस्रोत से बिजली ली जा सकेगी।