खटीमा : नशा मुक्ति केंद्र सितारगंज में भर्ती युवक की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। पुलिस ने शव का चिकित्सकों के पैनल से पोस्टमार्टम कराया। घटना से मृतक के परिवार में कोहराम मचा हुआ है। मृतक परिवार का इकलौता चिराग था। स्वजनों ने केंद्र संचालक पर मारपीट कर हत्या का आरोप लगाया है। युवक के शरीर पर चोटों के निशान थे।
चकरपुर निवासी पूर्व सैनिक एवं व्यापारी लक्ष्मी दत्त कापड़ी ने अपने 28 वर्षीय पुत्र सूरज कापड़ी को 15 मई की देर शाम को सितारगंज में स्थित एक नशा मुक्ति केंद्र में भर्ती कराया था। शनिवार को दिन में करीब 1.30 बजे उन्हें फोन आया कि उनके पुत्र सूरज को उल्टी आ रही है। स्थानीय अस्पताल में उपचार कराने के बाद उसे पीलीभीत ले जाया जा रहा है। इसके बाद करीब चार बजे एक एंबुलेस में नशा मुक्ति केंद्र के दो युवक उनके घर सूरज का शव लेकर पहुंचते है। जो कहते है कि उसकी पीलीभीत अस्पताल में मौत हो गई। इसके बाद वह शव छोड़कर निकल जाते हैं। यह सुनकर स्वजनों में कोहराम मच गया।
उपनिरीक्षक कैलाश देव ने पंचनामा भरकर शव को पोस्टमार्टम हाउस में सुरक्षित रखवा दिया गया। रविवार को उसके शव का चिकित्सक डॉ.प्रदीप चौधरी एवं डॉ.अमित बंसल के पैनल से पोस्टमार्टम कराया गया। जिसके बाद शव को घर लाया गया। जहां पिता लक्ष्मी दत्त कापड़ी, मां आनंदी देवी, पत्नी महिमा, बहन रेखा, पिंकी, निशा, कविता और रिश्तेदार शव देखकर फूट फूट कररोने लगे।
सूरज चार बहनों का इकलौता भाई था। बाद में बनबसा स्थित शारदा घाट पर उसका अंतिम संस्कार कर दिया गया। मृतक के स्वजनों ने नशा मुक्ति केंद्र संचालक पर मारपीट कर हत्या का आरोप लगाया है। जिसकी तहरीर सितारगंज पुलिस को सौंपी है। मृतक के चचेरे भाई दीपक कापड़ी का कहना है कि सूरज के शरीर पर मारपीट के गहरे घाव है। जिसकी वजह ही उसकी मौत हुई है। इतना ही नहीं केंद्र संचालक उसके शव को लावारिश अवस्था में फेंक कर चले गए।
मौत के कारणों का नहीं चला पता, बिसरा रखा गया सुरक्षित
सूरज के शव का पोस्टमार्टम चिकित्सकों के पैनल से कराया गया। परंतु उसकी मौत के रहस्य से अभी भी पर्दा नहीं हट सका है। चिकित्सकों का कहना है कि मौत के कारणों का पता नहीं चल सका है। इसलिए उसका बिसरा सुरक्षित रखा गया है। हालांकि उसके शरीर पर चोटों के निशान जरूर पाए गए है।
25 मई को सूरज की थी शादी की वर्षगांठ
सूरज कापड़ी का विवाह 25 मई 2020 को चंपावत की महिमा से हुआ था। फिलहाल उसके कोई संतान नहीं थी। तीन बाद सूरज अपनी शादी की दूसरी वर्षगांठ मनाने वाला था। परंतु ईश्वर को कुछ और ही मंजूर था।