हल्द्वानी : सुशीला तिवारी अस्पताल में लापरवाही का बड़ा मामला सामने आया है। स्वजनों का आरोप है कि समय पर इलाज न मिलने के कारण नवजात की मौत हो गई। जबकि कई बार बच्चे का स्वास्थ्य खराब होने पर चिकित्सक को बुलाने का अनुरोध किया गया था। लेकिन कोई भी चिकित्सक देखने के लिए नहीं पहुंच। जिसके बाद स्वजनों ने जमकर हंगामा किया। मामले में अस्पताल प्रबंधन ने लिखित शिकायत मिलने पर जांच का आश्वासन दिया है।
रानीखेत निवासी 27 वर्षीय दीपा मेहरा डिलीवरी के लिए पहले रानीखेत अस्पताल पहुंची थीं। वहां पर डाक्टर ने बताया कि बच्चे के मुंह में गंदगी चली गई है, लिहाजा बच्चे को हायर सेंटर ले जाएं। 15 सितंबर को महिला को हायर सेंटर रेफर कर दिया। स्वजन दीपा को लेकर अपराह्न तीन बजे एसटीएच पहुंचे। इमरजेंसी में डाक्टरों ने जांच कर स्त्री एवं प्रसूति रोग विभाग में भेज दिया। डाक्टर ने नॉर्मल डिलीवरी की बात कही। उसी दिन शाम छह बजे नार्मल डिलीवरी हो गई। रिश्तेदार रीता बोरा का कहना है कि तब डाक्टर ने बताया था कि बच्चा स्वस्थ है। एनआइसीयू की जरूरत नहीं है। वैसे भी बच्चा स्वस्थ लग रहा था।
रीता ने आरोप लगाया कि 17 की शाम से ही बच्चे का मूवमेंट कम हो गया। तब से वह डाक्टर को बुलाने की गुहार लगाते रहे। आज सुबह भी जब छह बजे वह पहुंची और जब हल्ला मचाया तो एक कर्मचारी पहुंचा। जब बच्चे को देखा तो कह दिया गया कि बच्चे की मौत हो गई है। हमने फिर डाक्टर को बुलाने का अनुरोध किया, लेकिन नहीं बुलाया। कभी बच्चे को चौथी मंजिल में लाने को कह दिया जाता तो कभी टाल दिया जा रहा है।
नवजात की मौत में अस्पताल की घोर लापरवाही है। इस दौरान स्वजनों ने वहां पर मौजूद कर्मचारियों को खरी-खोटी भी सुनाई। हालांकि आरोप है कि इसके बावजूद अस्पताल प्रबंधन को कोई फर्क नहीं पड़ा। वहीं प्राचार्य प्रो. अरुण जोशी ने का कहना है कि घटना के बारे में जानकारी मिली है। अगर स्वजन लिखकर देते हैं तो मामले की जांच कराई जाएगी। इसमें जो भी दोषी मिलेगा, उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाएगी। बख्शा नहीं जाएगी। वैसे इस समय स्ट्राइक भी चल रही है।