सेंचुरी पेपर मिल पर्वतीय क्षेत्रों से पिरूल खरीदकर लोगों को देगी रोजगार

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नैनीताल। सेंचुरी पेपर मिल ने पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को स्वरोजगार देने व जंगलों को आग से बचाने के लिए एक नए प्रोजक्ट की कार्ययोजना तैयार की है। जिसके तहत मिल द्वारा पर्वतीय क्षेत्रों के ग्रामीणों से पिरूल खरीदकर उसके ब्लाक बनाकर ईंधन के रूप में प्रयोग किया जाएगा। इस प्रोजक्ट के लिए मिल प्रबंधन पहले साल सीएसआर फंड के 50 लाख रुपए खर्च करेगी।

मंगलवार को सेंचुरी पेपर मिल के सीईओ जेपी नारायण ने मिल के कम्यूनिटी हाल में पत्रकारों से वार्ता करते हुए बताया कि पिछले दिनों उनकी मुलाकात मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत से हुई। जिसमें सीएम ने पिरूल के माध्यम से पर्वतीय क्षेत्रों के लोगों को रोजगार देने व जंगलों को आग से बचाने के ड्रीम प्रोजक्ट बारे में लंबी चर्चा हुई। जिस पर मिल प्रबंधन ने मुख्यमंत्री के ड्रीम प्रोजक्ट पर पूरी कार्य योजना तैयार कर ली गई है। जिसके तहत मिल प्रबंधन पर्वतीय क्षेत्रों के ग्रामीणों से पिरूल खरीदकर उसके ब्लाक बनाएगी। जिसके बाद उन ब्लाकों को मिल में लाकर उसका इस्तेमाल ईंधन के रूप में करेगी।

उन्होंने बताया कि पिरूल खरीदते समय उसका भुगतान तो किया जाएगा। जबकि उससे फायदा होने वाली धनराशी को भी उन्ही ग्रामीण क्षेत्रों में विकास कार्य में लगा दिया जाएगा। इस प्रोजक्ट से जहां ग्रामीण महिलाओं व पुरुषों को रोजगार मिलेगा वही पिरूल के कारण जंगलों में लगने वाली आग से जीव जंतु भी बचेंगे। जिसके लिए पहले वर्ष सीएसआर फंड से 50 लाख रुपए खर्च किए जाएंगे।

बता दें कि उत्तराखण्ड के पर्वतीय अंचलों में चीड़ के जंगल बहुतायत में हैं और चीड़ से प्राप्त होने वाली पिरुल की कोई कमी नहीं है। पिरूल पहाड़ के जंगलों के लिए अभिशाप की तरह देखी जाती है। लेकिन सेंचुरी का यह प्रयोग सफल रहा तो पिरुल घास अब राज्य के लिए एक बरदान साबित होगी। सेंचुरी मिल की यह शानदार पहल स्थानीय रोजगार व आर्थिकी के विकास में सहायक होगी। खासतौर से पहाड़ के लोगों को इसका सीधा लाभ मिलेगा।

 

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