हाईकोर्ट ने बुधवार को कोरोना काल में स्कूल फीस नहीं लेने के खिलाफ दायर निजी स्कूलों की याचिका पर सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं ने कहा कि 15 जनवरी को सरकार ने जीओ जारी कर 10वीं एवं 12वीं कक्षाएं खोलने का आदेश दिया। साथ ही कहा था कि स्कूल प्रबंधन इन छात्रों से फीस ले सकता है। चार फरवरी को सरकार ने नया जीओ जारी कर कक्षा छह, आठ, नौ और 11वीं कक्षाएं खोलने का आदेश दिया, लेकिन इन कक्षाओं में फीस लेने को लेकर कहीं भी जिक्र नहीं किया। इस पर कोर्ट ने सरकार से स्कूल फीस पर 25 मार्च तक स्थिति स्पष्ट करने के लिए कह दिया है।
यूएसनगर एसोसिएशन इंडिपेंडेंट स्कूल की याचिका में कहा गया है कि सरकार ने पिछले साल 22 जून को आदेश जारी कर कहा था कि लॉकडाउन में निजी स्कूल किसी भी बच्चे का नाम नहीं काटेंगे और ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस नहीं लेंगे, जिसे स्कूलों ने स्वीकार भी किया। पर, एक सितंबर को सीबीएसई ने सभी निजी स्कूलों को नोटिस जारी कर बोर्ड से संचालित स्कूलों को दस हजार रुपये स्पोट्र्स फीस, 10 हजार रुपये टीचर ट्रेनिंग फीस, 300 रुपये हर बच्चे के पंजीकरण की राशि बोर्ड को चार नवंबर से पूर्व देने को कहा।
ऐसा न करने पर 2000 रुपये हर बच्चे के हिसाब से पेनाल्टी देनी होगी। इसे एसोसिएशन ने कोर्ट में चुनौती दी है। एसोसिएशन का यह भी कहना है कि न तो वे किसी बच्चे का रजिस्ट्रेशन रद कर सकते हैं और न ट्यूशन फीस के अलावा कोई फीस ले सकते हैं। सीबीएसई द्वारा फीस वसूली को दबाव डाला जा रहा है, जिस पर रोक लगे।
हाईकोर्ट में सुनवाई
स्कूलों द्वारा कोर्ट में दिए प्रार्थना पत्र में यह भी कहा गया कि अब स्थिति सामान्य हो चुकी है। स्कूलों में छात्र आने लगे हैं और पढ़ाई भी शुरू हो चुकी है, इसलिए अब उनको फीस लेने दी जाए।