नैनीताल। स्वर्णिम विजय मशाल सोमवार सुबह तिकोनिया स्थित आर्मी कैंट से पिथौरागढ़ के लिए रवाना हो गई। अफसरों व जवानों ने सुबह आयोजित कार्यक्रम के बाद सैन्य सम्मान के साथ विजय मशाल को विदा किया। इस दौरान भारत माता की जय व वंदे मातरम के जयकारे भी गूंजे। पिथौरागढ़ पहुंचने के बाद सैन्य छावनी द्वारा कार्यक्रम किए जाएंगे। सैन्य अफसरों के मुताबिक एक घंटे के लिए स्वर्णिम विजय मशाल चंपावत में रूकेगी। उसके बाद आगे के लिए रवाना हो जाएगी।
1971 में भारत ने पाकिस्तान पर ऐतिहासिक विजय हासिल की थी। पाकिस्तान के जनरल समेत 93000 सैनिकों ने हिंदुस्तानी फौज के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था। इस विजय के पचास साल पूरे होने पर दिल्ली स्थित नेशनल वार मेमोरियल से पीएम नरेंद्र मोदी ने स्वर्णिम विजय मशाल को रवाना किया था। बरेली होते हुए 29 दिसंबर को मशाल हल्द्वानी आर्मी कैंट पहुंची।
30 दिसंबर को नैनीताल रोड स्थित शहीद स्मारक में रखी गई मशाल को सलाम करने व शहीदों को श्रद्धांजलि देने के लिए युद्ध में प्रतिभाग करने वाले अफसर-सैनिकों के लिए कमिश्नर व पुलिस अधिकारी भी पहुंचे। उसके बाद लालकुआं, कालाढूंगी, रामनगर व हल्द्वानी में दस लोगों के घर मशाल पहुंची। जहां वीरांगनाओं व वीर सैनिकों को आर्मी द्वारा सम्मानित भी किया। इसके बाद मशाल आर्मी कैंट स्थित केंद्रीय विद्यालय व प्राइमरी स्कूल के बच्चों के बीच पहुंची। वहीं, सोमवार सुबह पहले से तय कार्यक्रम के तहत स्वर्णिम विजय मशाल को रवाना कर दिया। कुछ देर चंपावत रूकने के बाद मशाल पिथौरागढ़ पहुंचेगी।