जल जीवन मिशन के तहत हर घर नल से जल पहुंचाने के मामले में उत्तराखंड की रैंकिंग, यूपी और झारखंड से भी ऊपर है। जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन सर्वेक्षण के दिसंबर के आंकड़े जारी किए हैं, जिसमें अब प्रदेश का एक भी जिला 50 प्रतिशत से नीचे नहीं रहा है।
जल शक्ति मंत्रालय ने जल जीवन मिशन के कार्यों को प्रोत्साहित करने के लिए जल सर्वेक्षण की शुरुआत की थी। उत्तराखंड का प्रदर्शन राष्ट्रीय स्तर पर लगातार तीसरे महीने सुधरा है। इस बार उत्तराखंड जहां 50 से 75 प्रतिशत श्रेणी में आठवीं रैंक पर है तो उत्तर प्रदेश 25 से 50 प्रतिशत श्रेणी में तीसरे स्थान पर है।
झारखंड इस श्रेणी में पांचवें स्थान पर है। हालांकि शीर्ष पर हरियाणा काबिज है। वहीं, जिलों के हिसाब से देखें तो अब प्रदेश के सभी जिले 50 प्रतिशत से ऊपर की श्रेणियों में आ चुके हैं। सात जिले ऐसे हैं जो कि 50 से 75 प्रतिशत की श्रेणी में हैं जबकि छह जिले 75 से 100 प्रतिशत की श्रेणी में हैं।
पेयजल निगम के एमडी उदयराज सिंह का कहना है कि निश्चित तौर पर उत्तराखंड की रैंकिंग में बड़ा सुधार अच्छा संकेत है। मिशन के कार्यों में तेजी से प्रगति हो रही है।
75-100 प्रतिशत कवरेज श्रेणी में देश के शीर्ष 116 में यह जिले
जिला अक्तूबर की रैंक – नवंबर की रैंक – दिसंबर की रैंक
पिथौरागढ़ 63 60 62
देहरादून 70 47 48
उत्तरकाशी 73 58 71
चमोली 79 70 82
बागेश्वर 87 59 70
रुद्रप्रयाग 86 00 58
ऊधमसिंहनगर 00 00 81
(नोट- पिछले दो माह से ऊधमसिंहनगर 25-50 प्रतिशत की श्रेणी में 41वीं रैंक पर शामिल था।)
50 से 75 प्रतिशत कवरेज श्रेणी में देश के शीर्ष 172 में यह जिले
जिला अक्तूबर की रैंक – नवंबर की रैंक – दिसंबर की रैंक
पौड़ी गढ़वाल 35 27 29
टिहरी गढ़वाल 38 30 28
चंपावत 90 45 73
नैनीताल 97 72 113
अल्मोड़ा 139 128 96
हरिद्वार 00 31 20
ऐसे होती है रैंकिंग
जल सर्वेक्षण में चार रैंक में नंबर दिए गए हैं। पहली फ्रंट रनर श्रेणी है, जिसमें वे जिले शामिल हैं, जिनमें जल जीवन मिशन के लक्ष्य के सापेक्ष 100 प्रतिशत काम हुए हैं। दूसरी हाई अचीवर श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें 75-100 प्रतिशत काम हुए हैं। तीसरी अचीवर्स श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें 50-75 प्रतिशत काम हुए हैं। चौथी परफॉमर्स श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें अक्तूबर के लक्ष्य के सापेक्ष 25-50 प्रतिशत काम हुए हैं। पांचवीं एस्पाइरेंट्स श्रेणी में वे जिले शामिल हैं, जिनमें केवल 0-25 प्रतिशत काम हुए हैं।