हाईकोर्ट ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को लगाई फटकार, डिप्टी रेंजरों को रेंज चार्ज देने वाले अधिकारियों पर होगा एक्शन

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नैनीताल। हाईकोर्ट ने डिप्टी रेंजर्स को वन क्षेत्राधिकारी का चार्ज देने के विरोध में दायर याचिका पर सुनवाई के दौरान व्यक्तिगत रूप से पेश पीसीसीएफ विनोद कुमार सिंघल को कड़ी फटकार लगाई है। दिसंबर में वन क्षेत्राधिकारी संघ की ओर से यह याचिका दाखिल कर कहा गया था कि डिप्टी रेंजरों को रेंजर का चार्ज दिया जा रहा है, रेंज अधिकारियों को रेंज चार्ज से वंचित किया जा रहा है।

पूर्व में उच्च न्यायालय की खंडपीठ पहले ही कह चुकी है कि डिप्टी रेंजरों को रेंजर का चार्ज नहीं दिया जा सकता और रेंज चार्ज देने वाले अधिकारियों के विरुद्ध कार्रवाई होनी चाहिए। गुरुवार को मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति विपिन सांघी व न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खंडपीठ में संघ की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने इस मामले में विभाग से मांगा था,जब विभाग ने जवाब नहीं पेश किया, न्यायालय ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को व्यक्तिगत पेशी के लिए कोर्ट बुलाया था।

कोर्ट में पेश हुए विनोद सिंघल ने कहा की दो डिप्टी रेंजरों पर भी रेंजर का चार्ज हैं। शपथपत्र में कहा कि एक को चार्ज उच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में दिया गया है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने न्यायालय का वह आदेश कोर्ट को दिखाया गया, जिसमें यह स्पष्ट था कि उच्च न्यायालय ने ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया था कि उस डेप्युटी रेंजर को रेंज चार्ज दिया जाए। इस पर विनोद सिंघल ने भी अपनी गलती मानते हुए न्यायालय से माफी भी मांगी।

न्यायालय ने जब विभागाध्यक्ष से पूछा कि उनकी ओर से अधिकारियों के विरुद्ध क्या कार्यवाही की गई है, जिन्होंने डिप्टी रेंजर को रेंज ऑफिसर का चार्ज दिया है, तो उन्होंने बताया कि 2017 से वह पीसीसीएफ नही थे। वह पीसीसीएफ हॉफ 2022 में ही बने हैं। न्यायालय ने कहा कि जब अब वह विभागाध्यक्ष के पद पर हैं तब उन्हें के आदेशों का अनुपालन सुनिश्चित करना चाहिए।

यह है हलफनामा

पीसीसीएफ की ओर से दाखिल शपथपत्र में बताया गया है कि वन क्षेत्राधिकारियों को टेरिटोरियल रेंज के अन्य क्षेत्र में दिखाया गया। रिक्तियों को 26 बताया है। याचिकाकर्ता का तथ्य स्वीकार करते हुए की 26 रेंज ऑफिसरों को नॉन टेरिटोरियल रेंज में अनावश्यक रखा गया है। न्यायालय ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को आदेशित किया की वह इन सभी रेंज ऑफिसरों को विकल्प दें कि वह नॉन टेरिटोरियल रेंज में रहना चाहेंगे या टेरिटोरियल रेंज में।

कोर्ट ने यह भी स्पष्ट किया कि जिन डेप्युटी रेंजर को रेंज का चार्ज दिया भी जाता है तो वह उनकी वरिष्टता के आधार पर होगा और केवल नॉन टेरिटोरियल रेंज पर हो सकता है। इस मामले पर एक गंभीर शपथपत्र दाखिल करने की नसीहत कोर्ट ने पीसीसीएफ विनोद सिंघल को दी और यह भी कहा कि वह कोर्ट के साथ लुका छिपी का खेल न करें। उनको पुनः व्यक्तिगत सुनवाई के लिए बुलाते हुए मामले को 26 अप्रैल के लिए चिन्हित किया गया है।

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