हल्द्वानी : हल्द्वानी से हैड़ाखान जाने वाला मार्ग बीते नौ दिनों से बंद है। ऐसे में पहाड़ के करीब दो सौ गांव के लोगों को मुसीबत झेलनी पड़ रही है। ग्रामीण खेतों में तैयार फसल और अन्य सामान सिर व कंधों पर लादकर जंगल के उबड़-खाबड़ रास्तों जान जोखिम में डालकर अपना काम चला रहे हैं। रास्ता जल्द नहीं खुलने की आशंका के चलते ग्रामीण फसल खेतों में ही खराब हो जाने की फिक्र में भूस्खलन के खतरे के बीच आवाजाही करने को मजबूर हैं।
काठगोदाम थाने से दो किलोमीटर आगे बढ़ते ही सड़क पर मंगलवार से भूस्खलन हो रहा है। लोक निर्माण विभाग ने पोकलैंड मशीन लगाकर मलबा हटाने का काम शुरू किया लेकिन पहाड़ी दरकने से फिर मलबा सड़क पर आ रहा है।
फिलहाल सड़क से मलबा हटाने के काम रोका गया है। बताया जा रहा है कि पहाड़ी कमजोर हो चुकी है और मलबा हटाने पर पूरा पहाड़ दरक सकता है। ऐसे में सड़क की चौड़ाई कम होने और पहाड़ी दरकने से मार्ग क्षतिग्रस्त होने का खतरा बना हुआ है।
भूकंप को भी माना जा रहा है भूस्खलन का कारण
कुछ अधिकारी बीते दिनों आए भूकंप को मलबा गिरने की वजह मान रहे हैं। यह मार्ग हैड़ाखान से रीठा साहिब तक के 200 गांव को जोड़ता है। अधिकांश गांव में आलू, अदरक, गडेरी, नींबू व माल्टा की फसल तैयार है। फसल बिकने के लिए हल्द्वानी मंडी में पहुंचती है।
मार्ग बंद होने से ग्रामीण सिर व कंधों पर फसल व राशन लादकर आवाजाही कर रहे हैं। अधिकांश ग्रामीणों की फसलें खेतों में तैयार है। समय से मार्ग नहीं खुला तो फसल खराब हो सकती है। ग्रामीणों ने प्रशासन से मार्ग को खुलवाने की मांग की है।
मिट्टी के सैंपल भेजे गए लैब में
सड़क पर बार-बार मलबा आने से लोक निर्माण विभाग के अधिकारियों ने भू विज्ञानिकों को सर्वे के लिए बुलाया था। शुक्रवार को अल्मोड़ा से पहुंची टीम ने हैड़ाखान मार्ग पर पहुंचकर स्थलीय निरीक्षण कर अपनी रिपोर्ट बनाई। टीम ने मिट्टी के सैंपल लिए हैं। अब लैब में परीक्षण कराया जाएगा।
लोनिवि के अधिशासी अभियंता दीपक गुप्ता ने बताया कि रिपोर्ट आने पर भूस्खलन के कारणों का पता चलेगा। मार्ग के जल्दी खुलने की संभावनाएं अभी कम हैं। अधिशासी अभियंता, लोनिवि दीपक गुप्ता ने बताया कि शुक्रवार को भू विज्ञानिकों ने आपदा प्रभावित क्षेत्र का निरीक्षण किया। इस मार्ग को खोलना खतरे से खाली नहीं है। 200 गांव के लोग मार्ग बंद होने से परेशान हैं।