हल्द्वानी : फाल्गुन एकादशी से शुरू होली की धूम आज थमने जा रही है। पौष के पहले रविवार से शुरू हुआ बैठकी होली का सिलसिला भी 19 मार्च को ठहर जाएगा। रंग में सराबोर होल्यार एक-दूसरे के गले मिल होली की शुभकामनाएं देंगे।
कहा जाता है कि आज होली मथुरा को लौट जाएगी। कुमाऊं में होली गीत, रंग की गागर सिर पर धरे, आज कन्हैया रंग हरे। होली खेली-खाली मथुरा को चले। आज कन्हैया रंग हरे.. गाते हुए होली को विदाई दी जाती है।
फागोत्सव में पिछले छह दिनों से साथ होली गाकर और रंग खेलने के बाद विदाई का ये क्षण भावुक कर देने वाला होता है। ऐसे माहौल में कई होल्यारों की आंखें नम हो जाती हैं।
आशीष देकर खुशहाली की कामना
होली के समापन पर गांव वालों व एक-एक घर को आशीष दी जाती है। आशीष के इन बोलों से घर के सयाने, घर संभालने वाली गृहणी, गोठ के जानवर सभी की कुशलता की कामना की जाती है। होल्यारों की टोली का वरिष्ठ होल्यार जिसे महंत भी कहा जाता है वो आशीर्वाद देते हैं।
महंत आशीष देते हैं और अन्य होल्यार हो हो होलक रे दोहराते हैं। आशीष वचन के शब्द मिठास घोल देते है। घर के मुखिया का नाम लेकर परिवार की दीर्घायु की कामना होती है। कामना यह भी होती है कि सभी जन कुशलता से रहें, खुशहाल रहें और अगले वर्ष सभी मिलकर फिर फाग यानी होली खेलें।
आशीष के आंखर
गावैं खेलें देवें आशीष
हो हो होलक रे
बरस दीवाली बरसे फाग
हो हो होलक रे
जो नर जीवैं खेलें फाग
हो हो होलक रे
आज का वसंत कैका घरा
आज का वसंत श्री गणपतिजी के घरा
इनरौ परिवार जीवैं लाख बरीस
हो हो होलक रे।