लंदन की मदद से निखरेगा हल्द्वानी में बनने वाला चिड़ियाघर

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देहरादून। वन विभाग की ओर से हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर का चिड़ियाघर बनाने की योजना है। चिड़ियाघर के लिए 300 करोड़ का बजट दुनिया में वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में काम करने वाली अंतरराष्ट्रीय संस्था जूलाजिकल सोसायटी ऑफ लंदन की ओर से मुहैया कराया जाएगा।

प्रमुख वन संरक्षक जयराज ने बताया कि जूलाजिकल सोसायटी ऑफ लंदन व भारतीय वन्यजीव संस्थान के बीच हुए समझौतों के तहत छह अफसरों की टीम ने लंदन भ्रमण पर गई थी। इस दौरान टीम के सदस्यों ने चिड़ियाघर के स्वरूप, वन्यजीवों के संरक्षण, सुविधाओं पर चर्चा की और तमाम पहलुओें की जानकारी ली। चिड़ियाघर के निर्माण के बाबत जल्द ही कार्ययोजना तैयार की जाएगी। इसके बाद ही आगे की कार्रवाई की जाएगी।

बता दें, हल्द्वानी में अंतरराष्ट्रीय स्तर का चिड़ियाघर बनाए जाने का मसौदा 2014- 15 में ही तैयार किया गया था। इसके लिए वन विभाग की ओर से कुछ बजट भी आवंटित किया गया। लेकिन अब जूलाजिकल सोसायटी ऑफ लंदन ने चिड़ियाघर के निर्माण को लेकर बजट मुहैया कराने के साथ ही तकनीकी सहयोग देने की बात कही है। ऐसे में चिड़ियाघर बनाने की योजना धरातल पर उतरने की उम्मीद बढ़ गई है।

लंदन जू की तर्ज पर विकसित होंगे राज्य के चिड़ियाघर
प्रदेश के चिड़ियाघरों को अब लंदन जू की तर्ज पर विकसित किया जाएगा। इस काम में लंदन जू के विशेषज्ञ सहायता भी करेंगे। साथ ही जेडएसएल संस्था की मदद से जू में काम करने वाले कर्मचारियों की विशेष प्रशिक्षण दिया जाएगा। प्रदेश में वन विभाग का नैनीताल, देहरादून (मालसी), अल्मोड़ा में चिड़ियाघर है, जबकि हल्द्वानी में एक चिड़ियाघर निर्माणाधीन है।

इन चिड़ियाघरों में वन्यजीवों के इलाज समेत और सुविधाएं विकसित करने के लिए प्रमुख वन संरक्षक, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं, वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त, तराई पूर्वी डीएफओ और वन विभाग के अधीन काम करने वाले पशु चिकित्सकों की टीम जूलोजिकल सोसाइटी आफ इंडिया (जेडएसएल) के सहयोग से ब्रिटेन गई थी। जेडएसएल ही लंदन जू एवं अन्य चिड़ियाघरों का प्रबंधन का काम करता है। वन संरक्षक पश्चिमी वृत्त एवं अंतरराष्ट्रीय जू के निदेशक डॉ. पराग मधुकर धकाते के अनुसार लंदन जू में कई तकनीक देखने को मिली हैं। जेडएसएल चिड़ियाघर में करने वाले कर्मचारियों को प्रशिक्षित करेगा। इसमें डेढ़ से दो करोड़ का खर्च आएगा।

वन्यजीवों को इलाज के लिए करते हैं तैयार
डॉ.धकाते के अनुसार अगर कोई वन्यजीव घायल या बीमार है, तो हमारे यहां पकड़कर इलाज किया जाता है, इससे वन्यजीव कई बार स्ट्रेस में आते हैं, जबकि लंदन जू में पशु चिकित्सक वन्यजीवों को पहले इलाज के लिए तैयार करते हैं। मसलन उसके पास इंजेक्शन ले जाकर दिखाना, फिर उसे कुछ खाने की चीज देना समेत कई तरीकों को अपनाते हैं।

गौलापार में प्रस्तावित चिड़ियाघर

जेडएसएल की टीम को सितंबर में नंधौर अभयारण्य का दौरा करने का भी अनुरोध किया गया है। उनके सहयोग से प्रस्तावित योजनाओं का दायरा बढ़ाने समेत अन्य मुद्दों पर बातचीत हुई है।
– विवेक पांडेय, मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं

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