नैनीताल/देहरादून। पूर्व मुख्यमत्रियों से किराया एंव अन्य सुविधाओं में सरकार द्वारा अध्यादेश के जरिए दी जाने वाली छूट पर सख्त रूख अपनाते हुए आज नैनीताल हाईकोर्ट ने सरकार से चार सप्ताह में अपना जवाब दाखिल करने को कहा गया है। इस मामले की सुनवाई के लिए अब अंतिम तारीख 28 नवम्बर तय की गयी है।
मुख्य न्यायधीश न्यायमूर्ति रमेश रंगनाथन एंव न्यायमूर्ति आलोक कुमार वर्मा की खण्डपीठ ने आज इस मामले की सुनवाई करते हुए सरकार द्वारा कोर्ट को दी गयी गलत जानकारी जिसमें पूर्व मुख्यमंत्रियों को नोटिस तामील होने की बात कही गयी पर नाराजगी जताते हुए कहा गया है कि अदालत इस मामले की सुनवाई को और अधिक वक्त नहीं देगी। प्रतिवादी के अधिवक्ता द्वारा अदालत को बताया गया कि यह नोटिस पूर्व मुख्यमंत्रियों के निजी सचिवों से तामील कराये गये है। जिस पर अदालत ने नाराजगी जताते हुए कहा कि हम आपको चार सप्ताह का अंतिम बार समय दे रहे है, जिसमें सरकार अपना जवाब दाखिल करे इसके बाद और समय नहीं दिया जायेगा। अब इस मामले की सुनवाई 28 नवम्बर को होगी।
उल्लेखनीय है कि रूलक संस्था जिसने जनहित याचिका के माध्यम से हाईकोर्ट में इस मामले को उठाया था, सरकार द्वारा लाये गये अध्यादेश के खिलाफ रिट याचिका दायर करते हुए इसे असंवैधानिक बताया गया था। इस अध्यादेश के जरिए सरकार ने पूर्व मुख्यमंत्रियों पर बकाया करोड़ों के भवन किराये व अन्य सुविधाओं को माफ कर दिया था तथा इस अध्यादेश पर राज्यपाल ने भी अपनी मोहर लगा दी थी। रिट में सरकार पर अपनी शक्तियों का दुरूपयोग करने का आरोप लगाते हुए कहा गया था कि राज्यपाल को भी इस अध्यादेश को पास करने का संवैधानिक अधिकार नहीं है। अब हाईकोर्ट के सख्त रूख को देखते हुए सरकार सकंट में दिखायी दे रही है।