नैनीताल। संवाददाता। देश भर के विश्वविद्यालयों में डिग्री के लिए छात्र-छात्राओं के चक्कर काटने की कहानियां और ख़बरें आपने भी पढ़ी-सुनी होंगी, ऐसे में कुमाऊं विश्वविद्यालय की पहल आपको थोड़ी अजीब लग सकती है, फ़ील गुड का अहसास दे सकती है, कुमाऊं विश्वविद्यालय ने 43 साल से अल्मारियों में धूल फांक रही करीब दो लाख डिग्रियों को उन्हें हासिल करने वाले लोगों के घर तक पहुंचाने का फ़ैसला किया है. इसके लिए एक वेबसाइट तैयारी की जा रही है, जो जल्द ही काम करना शुरु कर देगी।
धूल फांक रही हैं गाड़ियां
बता दें कि 1973 में कुमाऊं विश्वविद्यायल की स्थापना की गई थी. विश्वविद्यालय के रिकॉर्ड के अनुसार 1976 से 1992 तक ही दो लाख डिग्रियां पेंड़िंग हैं यानी छात्र-छात्राओं को नहीं दी जा सकी हैं. इसके अलावा 1992 से बाद की डिग्रियां बनाई जानी हैं।
कुमांऊ विश्वविद्यालय की अल्मारियों में इस अवधि के बीच जमा हुई डिग्रियों की संख्या लगभग दो लाख है। कुमाऊं विश्वविद्यालय के कुलपति एस राणा के अनुसार विश्वविद्यालय अब ऐसी सभी डिग्रियों को उन्हें हासिल करने वाले छात्र-छात्राओं को पहुंचाने जा रहा है।
डिग्री लेने के लिए छात्रों को अपनी पास की गई परीक्षा की डिटेल के साथ ही ईमेल आईडी, आधार कार्ड की जानकारी देनी होगी. डिग्री के लिए फ़ीस भी ऑनलाइन ही जमा करनी होगी। डिग्री लेने के लिए छात्रों को अपनी पास की गई परीक्षा की डिटेल के साथ ही ईमेल आईडी, आधार कार्ड की जानकारी देनी होगी. डिग्री के लिए फ़ीस भी ऑनलाइन ही जमा करनी होगी।