रामनगर। बिहार में पांच करोड़ की (50 एकड़) जमीन बेजुबान हाथियों के नाम करने वाले अख्तर इमाम अब उत्तराखंड के रामनगर में हाथी गांव बसाने की तैयारी कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने सांवल्दे में 26 बीघा जमीन लीज पर ले ली है।
बिहार की राजधानी पटना के दानापुर जानीपुर के गांव मीरग्यासचक के रहने वाले सैय्यद आलम के पुत्र अख्तर इमाम हाथियों के संरक्षण में जुटे हैं। बिहार में उन्होंने इसके लिए खूब काम किया। एरावत संस्था बनाई और अपनी 50 एकड़ जमीन संस्था के नाम कर दी। इस संस्था से कई महावत जुड़े हैं। 2018 में वह रामनगर आ गए।
यहां सांवल्दे गांव में 26 बीघा जमीन लीज पर ली और हाथियों के संरक्षण का काम शुरू कर दिया। यहां हाथियों के रहने के लिए टिन शेड, बिजली, सोलर फेंसिंग, नहलाने के लिए मोटर की व्यवस्था की। खाली पड़ी जमीन पर हाथियों के चारे को चरी उगाई गई है।
इस समय यहां मोती नाम के हाथी और रानी हथिनी को पाला जा रहा है। ढिकुली में भी दो हथिनी फूलमाला और गुलाबकली की देखरेख की जा रही है। इन दोनों हथिनियों को भी जल्द ही सांवल्दे लाया जाएगा।
अख्तर इमाम यहां पर दिन-रात हाथियों की सेवा में लगे रहते हैं। उनके साथ पांच अन्य लोग भी इस काम से जुड़े हैं। सभी की अलग-अलग जिम्मेदारी है। अख्तर के अनुसार वह हाथियों के लिए बड़ा काम करना चाहते हैं, इसलिए रामनगर आए हैं। सांवल्दे में वह एक हाथी गांव बसाना चाहते हैं, जिसमें बुजुर्ग और बीमार या दिव्यांग हो चुके हाथियों को रहने की जगह मिल सकेगी।
हाथी गांव को पीपीपी मोड में चलाने की मांग
अख्तर ने राज्य सरकार और चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन को पत्र लिखकर हाथी गांव को पीपीपी मोड में चलाने की मांग की है। चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने मुख्य वन संरक्षक कुमाऊं को पत्र लिखकर नियमानुसार कार्यवाही के निर्देश दिए हैं।
हाथियों ने जानलेवा हमले से बचाया तो प्यार हो गया
अख्तर इमाम बताते हैं कि उनकी पिताजी भी हाथी पाला करते थे। इसलिए बचपन से ही वह हाथियों के करीब रहे। एक बार उन पर जानलेवा हमला किया गया था, लेकिन हाथियों ने उन्हें बचा लिया था। पिस्तौल हाथ में लिए बदमाश जब उनके कमरे की तरफ बढ़ने लगे तो हाथी इसे देखकर चिंघाड़ने लगे। इसी बीच उनकी नींद खुल गई और शोर मचाने पर बदमाश भाग निकले। अख्तर के अनुसार उनकी पत्नी अभी बिहार में ही रह रहीं हैं।
बेटे को कर दिया बेदखल
अख्तर ने बताया कि हाथियों के नाम जमीन करने पर एक बेटे ने एतराज किया तो उसे संपत्ति से बेदखल कर दिया है। एक बेटा विदेश में है। बेटी की शादी कर चुके हैं।
आज इंसान एक-एक इंच जमीन के लिए संघर्ष कर रहा है, ऐसे में हाथियों के लिए जगह कम होती जा रही है। इसके लिए हर किसी को सोचना चाहिए। अगर हाथियों का संरक्षण नहीं किया गया तो हमारी अगली पीढ़ी इस विशाल जानवर को किताबों में ही पढ़ा करेगी। हाथियों की जीवनशैली पर जल्द ही किताब भी लिखने की सोच रहा हूं।
-अख्तर इमाम