उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : दिग्गजों की सीट रही नैनीताल में अबकी दिलचस्प सियासी जंग के आसार,क्या है 2022 का समीकरण, पढ़ें उत्तराखण्ड रिपोर्ट की खास पेशकश

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उत्तराखण्ड रिपोर्ट के दर्शकों के लिए अब हर हप्ते एक एक  विधानसभा का सिलसिलेवार तरीके से विश्लेषण कर एक रिपोर्ट पेश कर रहें हैं।इस रिपोर्ट में  आपको विधानसभा की समस्याओं सहित विधायक के रिपोर्ट कार्ड का पूरा विश्लेषण मिलेगा

 

उत्तराखण्ड चुनाव 2022 : नगरपालिका नैनीताल के साथ ही कोटाबाग, भीमताल, रामगढ़ का हिस्सा तथा बेतालघाट ब्लॉक के गांवों से बनी नैनीताल विधान सभा सीट आम तौर पर कांगे्रस का गढ़ रही है, लेकिन भाजपा नेता बंशीधर भगत ने इस सीट पर कांग्रेस की ना केवल जीत का तिलिस्म तोड़ा बल्कि तीन बार जीत दर्ज कर रिकार्ड भी बनाया।

राज्य बनने के बाद इस सीट पर पिछले चुनाव में मोदी लहर तो राज्य के पहले विधान सभा चुनाव में क्षेत्रीय दल उक्रांद ने कांग्रेस के रथ को रोक दिया। इस बार भाजपा से जीते प्रत्याशी संजीव आर्य अब कांग्रेस के प्रत्याशी जबकि प्रत्याशी के मामले में भाजपा में एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। पिछली चुनाव में निर्दलीय प्रत्याशी व कांग्रेस नेता हेम आर्य की भाजपा में वापसी के बाद अब सियासी समीकरण रोचक बन गए हैं।

कभी दिग्गज कांग्रेसी एनडी तिवारी की वजह से वीआइपी सीट का तमगा हासिल नैनीताल सीट पर कैबिनेट मंत्री बंशीधर भगत एक मात्र नेता हैं, जो जीत की हैट्रिक लगा चुके हैं, वयोवृद्ध कांग्रेस नेता किशन सिंह तड़ागी इस सीट से दो बार विधान सभा पहुंचे। राज्य बनने के बाद हर बार नए प्रत्याशी ने जीत दर्ज की।

भाजपा ने 2017 के चुनाव में इस सीट पर जीत दर्ज की, अब इस बार चुनाव में भाजपा से जीते संजीव आर्य के कांग्रेस प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरना करीब करीब तय है, कांग्रेस से पूर्व विधायक सरिता आर्य की भी दावेदारी है जबकि तीसरे दावेदार हेम आर्य भाजपा में वापसी कर चुके हैं।

भाजपा में टिकट के लिए एक अनार सौ बीमार वाली स्थिति है। पूर्व पालिकाध्यक्ष श्याम नारायण बताते हैं कि नैनीताल सीट आजादी से पहले से ही महत्वपूर्ण रही है। यहां से जीते प्रत्याशियों ने उत्तर प्रदेश के मंत्रिमंडल में महत्वपूर्ण विभागों की जिम्मेदारी संभाली।

इतिहास के आइने में जीते प्रत्याशी

1946 में कांग्रेस के श्याम लाल वर्मा

1952 में सोशलिस्ट पार्टी तथा 1957 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के एनडी तिवारी।

1962 में कांग्रेस के देवेंद्र मेहरा

1967 में प्रजा सोशलिस्ट पार्टी के प्रताप भैय्या

1969 के मध्यावधि चुनाव में कांग्रेस के डूंगर सिंह बिष्ट

1974 में कांग्रेस के बालकृष्ण सनवाल

1977 में जनता पार्टी के रामदत्त जोशी

1980 में कांग्रेस के शिवनारायण नेगी

1985 व 1989 में कांग्रेस के किशन सिंह तड़ागी

1991, 1993 व 1996 में भाजपा के बंशीधर भगत

2002 में उत्तराखंड क्रांति दल के डॉ नारायण सिंह जंतवाल

2007 में भाजपा के खड़क सिंह बोरा

2012 में कांग्रेस की सरिता आर्य

2017 में भाजपा के संजीव आर्य

नैनीताल सीट-कुल मतदाता-109808

पुरुष-58108, महिला-51700

ग्रामीण इलाकों में समस्याएं

नैनीताल, भवाली पालिका के अलावा बेतालघाट, रामगढ़, व कोटाबाग के ग्रामीण इलाकों तक फैली नैनीताल आरक्षित सीट में नैनीताल शहर व ग्रामीण इलाकों की समस्याएं अलग अलग हैं। नैनीताल शहर में पार्किंग तो ग्रामीण इलाकों में महंगाई, बेरोजगारी, किसानों को मौसमी मार का मुआवजा नहीं मिलना, ढांचागत विकास मुख्य मुद्दा हैं। इस सीट पर ब्राह्मण मतदाता राजपूत मतदाताओं से अधिक हैं। नैनीताल, भवाली में अल्पसंख्यक तथा आरक्षित वर्ग के मतदाता भी बड़ी संख्या में हैं।

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