डाक्टर्स की मनमानी से जनऔषधि केंद्र बंदी की कगार पर

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कोटद्वार। संवाददाता। हर ज़रूरतमंद को दवा उपलब्ध करवाने का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का सपना गढ़वाल के द्वार कोटद्वार में टूटता नज़र आ रहा है. बाज़ार से 70 फ़ीसदी तक कम कीमत पर दवाइयां मुहैया कराने के लिए अस्पताल में खुला जन औषधि केंद्र बंदी के कगार पर पहुंच गया है क्योंकि यहां चार-पांच लोग ही दवा लेने आते हैं। यह हाल तब है जब बेस अस्पताल कोटद्वार में हर दिन 1200 से ज्यादा लोग ओपीडी में आते हैं। आगे की तस्वीरों में जानिए वजह।

जन औषधि केंद्र के फ़ार्मासिस्ट आशीष रावत कहते हैं कि मरीज़ों के न आने की वजह से जन औषधि केंद्र अपने खर्च तक नहीं निकाल पा रहा है। मरीज़ों के न आने की बड़ी वजह सयह है कि बेस अस्पताल के डॉक्टर मरीज़ों को जेनरिक दवाइयां लिखने की बजाय हमेशा ब्रांडेड दवा लिखते हैं। इसकी वजह से मरीजों को मजबूरन बाजार से महंगी दवा खरीदनी पड़ती है।

यह बहुत गंभीर मामला है क्योंकि निजी अस्पताल के डॉक्टरों को भी जेनरिक दवा या ब्रांडेड दवा के साथ उसका सॉल्ट लिखना होता ताकि मरीज़ कहीं से भी वह दवा ले सके. चाहे तो जन औषधि केंद्र से भी लेकिन कोटद्वार के बेस अस्पताल में ही ऐसा नहीं हो रहा।

अस्पताल के प्रभारी सीएमएस डॉक्टर पंकज नेगी कहते हैं कि स्वास्थ्य विभाग के निर्देश हैं कि सभी डॉक्टर जेनरिक दवा ही लिखें इसके लिए डॉक्टरों को कहा जा चुका है। लेकिन जन औषधि केंद्र के बंद होने के कगार पर पहुंचने का अर्थ है कि ऐसा नहीं हो रहा है।

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