महिलाओं से सीखें उद्यमिता क्या होती है; नई इबारत लिख रही ये महिलाएं गांव के वीरान पड़े घरों को बना रही कमाई का जरिया

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जिस गुराड़ मल्ला को बरसों पहले रोजगार की खातिर कई परिवार छोड़कर चले गए थे, आज उन्हीं परिवारों के खंडहर हो चुके घरों में महिलाएं मशरूम उगाकर आर्थिकी को संवार रही हैं। देशबंदी (लॉकडाउन) के दौरान महिलाओं के उगाए मशरूम की जमकर बिक्री भी हो रही है।

पौड़ी : ‘इंटर प्रीनियोर्शिप’ अर्थात उद्यमिता क्या होती है? यह जानना है तो मिलिए, पौड़ी जिले के गुराड़ मल्ला गांव की इन महिलाओं से। इन्होने इन दिनों पलायन की मार से ठिठके इस गांव में जिंदगी की रौनक लौटा दी है। यहाँ तरक्की ने रफ्तार पकड़ ली है। इसकी वजह बना है महिला स्वयं सहायता समूह।

जिस गुराड़ मल्ला को बरसों पहले रोजगार की खातिर कई परिवार छोड़कर चले गए थे, आज उन्हीं परिवारों के खंडहर हो चुके घरों में महिलाएं मशरूम उगाकर आर्थिकी को संवार रही हैं। देशबंदी (लॉकडाउन) के दौरान महिलाओं के उगाए मशरूम की जमकर बिक्री भी हो रही है।

जलागम की ग्राम्य परियोजना के पौड़ी प्रभाग की ओर से एकेश्वर और पोखड़ा विकासखंड में विभिन्न रोजगारपरक योजनाएं चलाई जा रही हैं। इन विकासखंडों के 61 परिवारों के दस महिला समूहों को मशरूम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया था। पौड़ी की मशरूम गर्ल सोनी बिष्ट ने गांवों में जाकर महिला समूहों को मशरूम उत्पादन के गुर बताए थे। सोनी बताती हैं कि पिछले तीन महीनों में सभी दस महिला समूहों ने 450 किलो से अधिक मशरूम उत्पादन कर एक लाख रुपये की आमदनी की है।

खंडहर हो चुके मकान बने कमाई का जरिया

गौरा देवी समूह देवराड़ी की संतोषी देवी और वरदान समूह गुराड़ मल्ला की संगीता रावत बताती हैं कि प्रशिक्षण लेने के बाद बड़ी समस्या मशरूम उत्पादन के लिए जगह तलाशना था। फिर उन्हें गांव में खाली पड़े मकानों का ख्याल आया। इसके लिए जब संबंधित मकान के मालिक को फोन किया गया तो उन्होंने खुशी-खुशी अनुमति दे दी। फिर क्या था समूह से जुड़ी महिलाओं ने मिलकर घरों की सफाई की। छत से पॉलीथिन बांधी और मशरूम उत्पादन की दिशा में कदम बढ़ा दिया। मेहनत रंग लाई और आज उनका कारोबार चल निकला है।

देशबंदी के इस दौर में बढ़ी डिमांड/विक्री 

देशबंदी के इस दौरान लोगों ने बाहर से आने वाली सब्जियों के बजाय गांवों में उगने वाले मशरूम को प्राथमिकता दी है। इसके चलते मशरूम की खपत भी काफी बढ़ गई है। गांवों के साथ ही पहाड़ के कस्बाई क्षेत्रों में मशरूम की डिमांड बढ़ने से महिलाओं को खूब फायदा हो रहा है -राजीव खत्री

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