श्रीनगर। उत्तराखंड में श्रीनगर राजकीय मेडिकल कॉलेज के आईसीयू में गर्भवती महिला की मौत से गुस्साए परिजनों ने हंगामा किया। परिजनों का आरोप था कि डॉक्टरों की लापरवाही से महिला की जान चली गई। यदि वह वक्त रहते पेट से भ्रूण को निकाल देते तो, महिला की जान बच जाती। वहीं, मेडिकल कॉलेज प्रशासन का कहना है कि महिला को सांस लेने में दिक्कत थी।
बता दें कि 12 सितंबर की रात मेडिकल कॉलेज में श्रीनगर बाजार से 37 वर्षीय प्रसूता को डिलीवरी के लिए लाया गया था। महिला रेपिड टेस्ट में कोरोना पॉजिटिव आई थी। परिजनों का कहना है कि डॉक्टरों ने बताया कि बच्चे की पेट में मौत हो चुकी है।
परिजनों का आरोप है कि डॉक्टरों से मृत भ्रूण को गर्भ से निकालने का आग्रह किया गया था, लेकिन ऐसा नहीं किया गया और महिला की मौत हो गई। आरोप है कि महिला की मौत का समाचार सुनकर जब उसका पति और परिजन आईसीयू में गए, तो उन्हें डॉक्टर ने धक्का-मारकर बाहर कर दिया।
परिजनों का कहना था कि वे रिपोर्ट की मांग कर रहे थे, लेकिन मृत्यु का कारण बताने के बजाय उनको बाहर कर दिया गया। हंगामे की सूचना मिलने पर श्रीकोट चैकी इंचार्ज महेश रावत और एसआइ पीएस बुटोला अस्पताल पहुंचे।
इसके बाद परिजनों की पुलिस की मौजूदगी में बेस अस्पताल के चिकित्सा अधीक्षक प्रो. केपी सिंह से वार्ता हुई। प्रो. सिंह ने बताया कि यदि लिखित में शिकायत आई तो जांच कराई जाएगी।
वहीं, इस बीच कुछ महिलाएं अस्पताल के गेट पर धरने पर बैठ गए। महिलाओं का कहना था कि अस्पताल की लापरवाही से दो लोगों की जान चली गई और घर में दो मासूम बिना मां के रह गए। काफी देर हंगामे के बाद पुलिस ने मामला शांत कराया।