एमबीबीएस का बदलेगा शिक्षण पैटर्न

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श्रीनगर। एमबीबीएस का शिक्षण पैटर्न अगले शिक्षासत्र से नये कलेवर के साथ शुरू होगा। एमबीबीएस में प्रवेश लेने वाले मेडिकल छात्र-छात्राओं को अब फाउंडेशन कोर्स के साथ ही आब्जर्वेशन क्लीनिकल टीचिग भी करनी होगी। एमबीबीएस प्रथम वर्ष में ही यह पाठ्यक्रम उत्तीर्ण भी करने होंगे। इन पाठ्यक्रमों को आगामी मेडिकल शिक्षासत्र से सुचारू रूप से लागू करने को लेकर राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के पांच वरिष्ठ फैकल्टियों ने हिमालयन मेडिकल कॉलेज जौलीग्रांट में प्रशिक्षण भी लिया। प्रशिक्षित इन पांचों फैकल्टियों ने श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के सभी विभागाध्यक्षों को इन नए पाठ्यक्रमों के संचालन और उनकी व्यवस्थाओं को लेकर कार्यशाला में प्रशिक्षण भी लिया।

मेडिकल काउंसिल ऑफ इंडिया के निर्देशानुसार एमबीबीएस के 2019-2020 सत्र से एमबीबीएस प्रथम वर्ष के शिक्षण में बदलाव भी आ रहा है। एमबीबीएस प्रथम वर्ष में प्रवेश लेने वाले छात्र-छात्राओं को अब एक महीने का फाउंडेशन कोर्स भी करना होगा। इसमें योग, मेडिसन ओरियंटेशन, सोशल साइंस, कम्प्युनिकेशन बिहेबियर का प्रशिक्षण दिया जाएगा। इस नए पाठ्यक्रम के तहत स्पोर्ट्स सेशन भी चलेगा। राजकीय मेडिकल कॉलेज श्रीनगर के प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. चंद्रमोहन सिंह रावत ने कहा कि एमबीबीएस प्रथम वर्ष के छात्र-छात्राओं के लिए अब प्रथम वर्ष में ही क्लीनिकल टीचिग (अस्पताल में) शुरू हो जाएगी। अभी तक एमबीबीएस द्वितीय वर्ष से यह क्लीनिकल टीचिग शुरू होती थी। नए बदलाव के अनुसार अब प्रथम वर्ष में एमबीबीएस के छात्रों के लिए यह क्लीनिकल टीचिग इंट्रीग्रेटेड टीचिग भी होगी, जिसमें किसी एक रोग के इलाज को लेकर संबंधित सभी विभाग उसके बारे में बताएंगे। अभी तक हर विभाग अलग-अलग क्लीनिकल टीचिग भी करता है।

प्राचार्य प्रो. चंद्रमोहन सिंह रावत ने कहा कि एग्जाम पैटर्न में भी आंशिक बदलाव हुआ है। इसे लेकर अब हर विभागाध्यक्ष को संबंधित मैटीरियल भी दे दिया है। विभागाध्यक्ष अपनी रिपोर्ट पांच अप्रैल तक प्राचार्य कार्यालय को देंगे। इसके बाद यह रिपोर्ट एमसीआइ को भेजी जाएगी। रिपोर्ट का अध्ययन कर एमसीआइ निर्णय देगा। प्राचार्य प्रोफेसर डॉ. रावत ने कहा कि इस मेडिकल एजुकेशन यूनिट के कोआर्डिनेटर का दायित्व फार्माकोलॉजी विभाग के अध्यक्ष डॉ. किनसुख लाहौन को दिया है।

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के फॉरेन्सिक विभाग के अध्यक्ष डॉ. पुष्पेंद्र, मेडिसन विभाग के अध्यक्ष डॉ. केएस बुटोला, एनाटमी विभाग के डॉ. अनिल द्विवेदी, फार्माकॉलॉजी विभाग के डॉ. किनसुख और आर्थोपीडिक विभाग के डॉ. डीके टम्टा ने हिमालयन मेडिकल कॉलेज जौलीग्रांट में इस नए शिक्षण बदलाव को लेकर प्रशिक्षण लिया।

श्रीनगर मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य सभागार में प्रशिक्षित इन पांचों फैकल्टियों ने मेडिकल कॉलेज के सभी विभागाध्यक्षों के लिए आयोजित वर्कशॉप में उन्हें इस नई शिक्षण व्यवस्था के बारे में विस्तार से बताया। प्राचार्य प्रो. चंद्रमोहन सिंह रावत ने कहा कि नए समावेश किए गए फाउंडेशन कोर्स और क्लीनिकल इंट्रीग्रेटेड टीचिग को लेकर मेडिकल छात्र-छात्राओं का इंटरनल असिस्मेंट भी होगा।

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