धारचूला (पिथौरागढ़) : चीन सीमा से लगी उच्च हिमालयी दारमा घाटी के ग्रामीणों की दुश्वारियां बढ़ चुकी हैं। एक तरफ हिमपात होने लगा है दूसरी तरफ तवाघाट-सोबला-तिदांग मार्ग बंद है। इससे माइग्रेशन भी प्रभावित हो चुका है। सीपू से लेकर नागलिंग तक ग्रामीण फंसे हैं। घाटियों तक आने के लिए अब हेलीकाप्टर का ही विकल्प है।
गुरुवार को ढाकर हेलीपैड में 40 से अधिक ग्रामीण दिन भर हेलीकाप्टर की प्रतीक्षा करते रहे। दुग्तु गांव में फंसे सीपू और मार्छा के तीस से अधिक ग्रामीण पैदल ही निचले स्थानों की की तरफ रवाना हो चुके हैं हैं। ये ग्रामीण एक-दो दिन में नागलिंग या फिर वुर्थिग पहुंचेंगे। उच्च हिमालय से निचली घाटियों की तरफ माइग्रेशन का समय हो चुका है। इस वर्ष मार्ग बंद होने से माइग्रेशन में देरी हो चुकी है। उच्च हिमालय में अब हिमपात होने लगा है। दो दिन पूर्व हुए हिमपात से न्यूनतम तापमान शून्य डिग्री से नीचे पहुंच गया है। ऐसे में ग्रामीणों का अब ऊपरी गांवों में रह पाना मुश्किल है।
दिक्कत यह है कि घाटियों की तरफ आने के लिए मार्ग बंद है। सीपू और मार्छा के ग्रामीण दो दिन दुग्तू, दांतू में हेलीकाप्टर की आस रुके रहे। गुरुवार को ये लोग पैदल ही चल चुके हैं। बालिंग गांव में एक तीन वर्षीय बच्चे का स्वास्थ्य खराब है। गुरुवार को भी हेलीकाप्टर नहीं पहुंचा। बीते दिनों दारमा में चिकित्सा शिविर के लिए गई दो सदस्यीय टीम भी दारमा में फंसी है। जिलाधिकारी डा. आशीष चौहान ने बताया कि शासन से बात हो चुकी है। शुक्रवार से हेलीकाप्टर सेवा प्रारंभ होने के आसार हैं।
14 गांवों के लोग हैं फंसे
दारमा घाटी के 14 गांवों के लोग माइग्रेशन की तैयारी कर रहे हैं। माइग्रेशन से पहले ही हिमपात हो गया है। दांतू के प्रधान जमन दताल, पानू दताल, दुग्तू के प्रकाश दुग्ताल ने बताया कि गांव, घरों में छह इंच और पहाड़ों में एक फुट से अधिक बर्फबारी हुई है। इससे ठंड भी काफी बढ़ गई है। उन्होंने बताया कि सड़क बंद होने से कुछ लोग अपने जानवरों के साथ आधे रास्ते में फंसे हैं। सड़क खराब होने से लोग तो दूर मवेशी तक आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। तीन दिन पहले चिकित्सा शिविर के लिए दुग्तू गए एक डॉक्टर और फार्मासिस्ट भी सड़क बंद होने से फंसे हैं।
तहसीलदार भी हो गए थे बीमार
चार दिन पूर्व बंद सड़कों के निरीक्षण के लिए दारमा गए तहसीलदार अबरार अहमद की भी ठंड से तबियत बिगड़ गई। ग्रामीणों ने काफी मुश्किलों के बीच उन्हें रातोंरात धारचूला पहुंचाया। धारचूला अस्पताल में डॉ. एमके जायसवाल ने जांच की। जांच में साइनस के लक्षण मिलने पर उन्हें हल्द्वानी रेफर किया गया। बीआरओ ने तवाघाट-सोबला सड़क खोलने का कार्य शुरू कर दिया है लेकिन सड़क के चार-पांच दिन पहले खुलने की उम्मीद नहीं है। चल ग्राम से लौटने पर दिनेश चलाल ने बताया कि सड़क की हालत देखने पर 20 दिनों तक यातायात सुचारु होने की संभावना नहीं है।