पिथौरागढ़। लिपुलेख के बाद मुनस्यारी के रास्ते भी चीन सीमा तक जल्दी सड़क पहुंच जाएगी। सड़क निर्माण में बाधक बन रही कठिन चट्टानों को काटने के लिए हेलीकाप्टरों से बड़ी मशीनें निर्माण स्थल तक पहुंचा दी गई हैं। यदि सब कुछ ठीक रहा तो 2021 तक यह सड़क भी चीन सीमा तक पहुंच जाएगी।
उत्तराखंड राज्य की सीमाएं नेपाल और चीन से लगी हैं। पूर्व में नेपाल से 275 किमी लंबी सीमा तो उत्तर में चीन से 350 किमी लंबी सीमा लगी है। पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिलों की सीमाएं चीन से तो पिथौरागढ़, चंपावत और ऊधमसिंह नगर जिलों की सीमाएं नेपाल से लगी हैं। इनमें पिथौरागढ़ ऐसा जिला है जिसकी सीमाएं नेपाल और चीन दोनों देशों से लगी हुई हैं।
उत्तरकाशी और चमोली जिलों में बीआरओ पहले ही चीन सीमा के निकट तक सड़कें बना चुका है, लेकिन पिथौरागढ़ जिले में विश्व प्रसिद्ध कैलाश मानवरोवर यात्रा और भारत-चीन व्यापारिक रूट होने के बावजूद सीमा तक सड़क जुड़ने में लंबा समय लग गया। जबकि चीन पहले ही सीमा तक पक्की सड़कें बना चुका है।
पिथौरागढ़ जिले से चीन सीमा के लिए बन रही तवाघाट-लिपुलेख और मुनस्यारी-मिलम सड़कों के निर्माण में कठोर चट्टानों ने बाधा पहुंचाई। लिपुलेख तक डेढ़ दशक में सड़क लिंक हो पाई है। धारचूला के तवाघाट से लिपुलेख तक लगभग 90 किमी लंबे कैलाश मानसरोवर यात्रा रूट में बनी इस सड़क का उद्घाटन रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने विगत आठ मई को किया था।
इसके अलावा मुनस्यारी के मिलम के लिए भी सड़क का निर्माण हो रहा है। मिलम चीन सीमा पर स्थित भारत का अंतिम गांव है। मुनस्यारी से लगभग 80 किलोमीटर दूर स्थित मिलम गांव में अब लोग नहीं रहते हैं। यहां सीमा सुरक्षा में भारत तिब्बत सीमा पुलिस तैनात है। सड़क नहीं होने से जवानों के लिए घोड़े-खच्चरों से सामान की आपूर्ति की जाती है। इस सड़क में मुनस्यारी से मिलम तक और उधर मिलम से लास्पा गाड़ी तक सड़क कट चुकी है।
कठिन चट्टानों के कारण सड़क का निर्माण कार्य तेजी से नहीं हो पा रहा
लास्पा से मिलम तक कठिन चट्टानों के कारण सड़क का निर्माण कार्य तेजी से नहीं हो पा रहा है। अब 18 किमी सड़क की कटिंग होनी है। वर्तमान में चीन की गतिविधियों को देखते हुए अब भारत ने मिलम के लिए भी सड़क निर्माण में तेजी लानी शुरू कर दी है।
लास्पा से मिलम तक लगभग 20 किमी सड़क की कटिंग होनी है। निर्माण में बाधा बन रही कठोर चट्टानों को काटने के लिए हेलीकाप्टरों से मशीनों को 11 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित मिलम पहुंचाया गया है। सूत्रों के अनुसार यदि कोई बाधा नहीं आई तो अगले साल तक इस सड़क को मिलम तक लिंक कर दिया जाएगा।
लिपुलेख के बाद मिलम तक सड़क बनने से सीमा पर तैनात सैन्य बलों के जवानों के लिए सैन्य सामान और रसद की आसानी से आपूर्ति हो सकेगी और सामरिक दृष्टि से भारत की स्थिति भी मजबूत हो जाएगी।
मुनस्यारी-मिलम सड़क का निर्माण कार्य तेजी से चल रहा है। 18 किलोमीटर सड़क की कटिंग होनी है। कठिन चट्टानों को काटने के लिए मशीनें पहुंचाई गई हैं। सड़क निर्माण का काम समय से पूरा करने को कहा गया है। 2021 तक सड़क की कटिंग का काम पूरा होने की उम्मीद है।
-ए के शुक्ला, एसडीएम मुनस्यारी