चीन के बाद नेपाल बिछा रहा भारतीय सीमा पर सड़कों का जाल, तेजी से चल रहा काम

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पिथौरागढ़। चीन के बाद अब नेपाल भी भारतीय सीमा तक सड़कों का जाल बिछा रहा है। दार्चुला-तिंकर मोटर मार्ग के साथ ही इस समय नेपाल में पिथौरागढ़ जिले से लगी सीमा पर सड़कों का काम तेजी से चल रहा है। दार्चुला और बैतड़ी में दोनों देशों का सीमांकन करने वाली काली नदी के किनारे बसे गांवों तक सड़कों का निर्माण हो रहा है। 

उत्तराखंड के पिथौरागढ़, चमोली, उत्तरकाशी जिलों से लगी 350 किमी लंबी सीमा तक चीन पहले ही सड़कें बना चुका है। अब नेपाल भी भारत की सीमा के नजदीक तक तेजी से सड़कों का निर्माण करा रहा है। उत्तराखंड से नेपाल की 275 किलोमीटर लंबी सीमा लगी है।

पिथौरागढ़, चंपावत और उधमसिंहनगर जिलों की सीमाओं से लगी भारत-नेपाल सीमा की लंबाई पिथौरागढ़ जिले में सबसे अधिक लगभग डेढ़ सौ किलोमीटर है। तीनों जिलों में केवल चंपावत जिले के बनबसा में ही मोटर पुल है, जबकि पिथौरागढ़ जिले में झूलाघाट से लेकर कालापानी में स्थित सीतापुल तक झूला पुलों से ही आवागमन होता है।

बीओपी पर की जवानों की तैनाती
भारत की ओर से कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लिपुलेख तक सड़क निर्माण करने के बाद से नेपाल के सुर भी बदल गए हैं। भारतीय क्षेत्र कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधुरा को अपने नक्शे में शामिल करने के बाद नेपाल ने छांगरू में बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों की तैनाती कर दी है।

इसके अलावा, काली नदी किनारे आधा दर्जन स्थानों पर बॉर्डर आउट पोस्ट स्थापित कर सेना के जवानों को तैनात करने का काम चल रहा है। इतना ही नहीं, नेपाल ने भारत और चीन सीमा के निकट स्थित अपने अंतिम गांव छांगरू और तिंकर तक सड़क का निर्माण भी तेज कर दिया है।

भारतीय सीमा तक आसानी से पहुंच जाएंगे नेपाली सैनिक
130 किलोमीटर लंबी इस सड़क में 43 किलोमीटर सड़क बन चुकी है। शेष सड़क बनाने का काम नेपाल सेना को सौंपा गया है। इसके अलावा, भारत से लगे नेपाल के दो जिलों दार्चुला और बैतड़ी में भी एक दर्जन से अधिक सड़कों का निर्माण कार्य चल रहा है। 

सूत्रों के अनुसार नेपाल की योजना सीमा से लगे अधिक से अधिक गांवों को यातायात सुविधा से जोड़ने की है। छांगरू, तिंकर के साथ ही सीमावर्ती क्षेत्रों में सड़कों का जाल बिछ जाने के बाद भारतीय सीमा पर नेपाली सुरक्षा बलों की पहुंच आसान हो जाएगी।

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