जुम्मा में मलबे के बीच जिंदगी की तलाश जारी, दंपती का नहीं लग रहा कोई सुराग

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उत्तराखंड में पिथौरागढ़ के जुम्मा गांव में मलबे में जिंदगी की तलाश दूसरे दिन भी जारी रही। एनडीआरएफ, एसडीआरएफ, एसएसबी और ग्रामीणों की टीम मलबे में लापता लोगों को तलाशती रही। धारचूला-ऐलागाड़ सड़क और निर्माणाधीन ऐलागाड़ जुम्मा सड़क के बंद होने से राहत कार्यों में दिक्कत आ रही है। प्रशासन गांव में हेली से खाद्यान्न और अन्य चीजों की व्यवस्था करा रहा है। धारचूला विकासखंड के जुम्मा गांव में भारी बारिश के कारण रविवार रात करीब डेढ़ बजे गांव के ऊपर भूस्खलन होने से जामुनी और नालपोली तोक के सात मकान जमींदोज हो गए। मलबे में सात लोग लापता हो गए थे, जिनमें से तीन किशोरियों समेत पांच लोगों के शव सोमवार को ही मलबे से निकाल लिए गए थे। चंद्र सिंह और उनकी पत्नी हाजरी देवी का पता नहीं चल सका। मंगलवार को सुबह से ही एनडीआरएफ, एसडीआरएफ और एसएसबी की टीम मलबे के बीच शवों को तलाशती रही लेकिन दोनों का पता नहीं चल सका। बचाव दल अभी भी मलबे से बीच जिंदगी मिलने की उम्मीद में रेस्क्यू अभियान चलाए हुए हैं।मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को आपदा प्रभावित गांव जुम्मा का निरीक्षण किया। उन्होंने आपदा में मृत व्यक्तियों के परिजनों को चार-चार लाख रुपये और मुख्यमंत्री राहत कोष से एक-एक लाख रुपये देने की घोषणा की। सीएम ने कहा कि आगामी एक माह के लिए हवाई सेवा को बढ़ाया जाएगा। सीएम धामी ने कहा कि आपदा प्रभावित क्षेत्रों में जन जीवन सामान्य करने की सबसे बड़ी चुनौती है। आपदा प्रभावित क्षेत्रों में खाद्यान्न, दवा आदि की कमी नहीं होने दी जाएगी। साथ ही आपदा में ध्वस्त पैदल रास्तों और सड़कों को ठीक कर कनेक्टिविटी सहीं करने के प्रयास किए जाएंगे।सीएम धामी ने आपदा प्रभावितों को आश्वस्त करते हुए कहा कि सरकार दु:ख की इस घड़ी में उनके साथ खड़ी है। उनकी हर संभव मदद की जाएगी। उन्होंने आपदा में जोगा सिंह की तीन बेटियों की अकाल मृत्यु पर शोक जताते हुए जोगा सिंह को आर्थिक सहायता के चेक देकर भविष्य में भी हर संभव मदद का भरोसा दिलाया।भारी बारिश के कारण बीआरओ कैंप ऐलागाड़ और कुलागाड़ पुल के पास 100 मीटर सड़क जगह-जगह से ध्वस्त हो गई है। इससे ग्रामीण 10 किमी पैदल यात्रा कर मुख्य सड़क तक पहुंचने के लिए मजबूर हैं। तल्ला, मल्ला दारमा के लिए सड़क 70 दिन से बंद है। इससे सीमांत के 40 से 50 गांवों के लोगों को दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। इन गांवों के लोगों को 25 किमी पैदल चलना पड़ रहा है।

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