इस मानसून में बादलों ने उत्तराखंड के पहाड़ी इलाकों में भारी कहर बरपाया है। रविवार रात को धारचूला में सात मकान ध्वस्त होने के बाद अब धारचूला में एक और बड़े खतरे ने दस्तक दी है। यहां नेपाल के बरसाती नाले से आए भारी मलबे ने काली नदी का प्रवाह रोक कर झील बना दी है। जिससे खतरे की आशंका पैदा हो गई है। नेपाल की ओर से भारी भूस्खलन के कारण काली नदी में झील बन गई है। इससे एनएचपीसी तपोवन के परिसर तक पानी घुस आया है। बता दें कि सोमवार को नेपाल की ओर से कालागाड़ पहाड़ी से मलबा काली नदी में आ गया। इससे नदी का प्रवाह रुक गया और एनएचपीसी कॉलोनी में जलभराव हो गया। दर्जनों मकानों में मलबा और पानी घुस गया। इसमें तीन वाहन बह गए। काली नदी का जल स्तर बढ़ने से बीआरओ का क्रशर प्लांट और हट्स क्षतिग्रस्त हो गए, जबकि तारकोल के सैकड़ों ड्रम और काफी सामान मलबे में दब गया। बीआरओ कर्मी नदी का जल स्तर बढ़ने के बाद बचाव में जुटे रहे।
बीआरओ के कर्नल एनके शर्मा ने मौके पर पहुंचकर क्षति का आकलन किया। काली नदी का जल स्तर बढ़ने की सूचना पर प्रशासन और पुलिस ने रात में ही लाउडस्पीकर से लोगों को सतर्क रहने के लिए कहा। घटखोला सहित नदी से लगे गांवों के लोग सोमवार को रात भर जगे रहे।
जुम्मा में अतिवृष्टि और उच्च हिमालयी क्षेत्रों में हुई भारी बारिश के बाद महाकाली नदी उफान पर आ गई। काली नदी के उफान पर आने से नदी किनारे भू कटाव हुआ। जिला प्रशासन ने नदी किनारे रहने वाले लोगों को अलर्ट किया। झूलाघाट में भी माइक लगाकर लोगों को चेतावनी दी गई।
रविवार रात जौलजीबी में गोरी नदी का जल स्तर अचानक बढ़ने से अहमद हुसैन पुत्र अली हसन की दो बकरियां बाड़े में जल भराव होने से मर गई। टीवी मैकेनिक जुनैद अहमद पुत्र जहूर अहमद के स्टोर में पानी भरने से रिपेयर के लिए रखे टीवी सेट भी पानी में डूब गए।
यहां अधिक बारिश से सोहन राम पुत्र दानी राम के घर के आगे की दीवार गिर गई। इससे मकान को खतरा हो गया है। जौलजीबी मेला स्थल तक पानी भर गया।