मन में कुछ कर दिखाने का जज्बा हो तो कोई भी काम कठिन नहीं होता है। शुरूआत करने से रास्ते खुद ब खुद बनते चलते जाते हैं। इस कहावत को सच कर दिखाया है पिथौरागढ़ वन विभाग और स्थानीय लोगों की टीम ने।
वन विभाग ने पिछले कई सालों से बंजर पड़ी भूमि पर स्थानीय लोगों की मदद से 9000 हजार फीट की ऊंचाई पर पंचाचूली की तलहटी पर सुंदर ट्यूलिप गार्डन विकसित किया है। इतनी ऊंचाई पर पहली बार ट्यूलिप गार्डन विकसित होना इन दिनों चर्चा का विषय बना हुआ है।आज यह ट्यूलिप गार्डन पर्यटकों की पहली पसंद बना हुआ है। ट्यूलिप के खिलने के बाद हिमालय की खूबसूरती पर चार चांद लग गए हैं। आज हर कोई मुनस्यारी ट्यूलिप गार्डन के दीदार को बेताब है।
करीब एक साल पूर्व वन विभाग ने मुनस्यारी ईको पार्क में स्थानीय लोगों की मदद से ट्यूलिप गार्डन विकसित करने का कार्य शुरू किया, लेकिन सालों से बंजर पड़ी और मृत जानवरों को दफनाने में प्रयोग की जाने वाली 30 एकड़ भूमि में ट्यूलिप गार्डन को विकसित करना इतना आसान नहीं था। यहां पर ट्यूलिप गार्डन विकसित करने के लिए वन विभाग और स्थानीय लोगों ने काफी मेहनत की।इसके लिए वैज्ञानिक, पर्यावरण विशेषज्ञ, वन विभाग के अधिकारियों ने मेहनत कर नया प्रयोग किया। आज की उनकी मेहनत पूरी तरह रंग ला गई है। बर्फीले पहाड़ों से ढके मुनस्यारी ईको पार्क की 30 एकड़ भूमि में सुंदर ट्यूलिप और शीतकालीन प्रजाति के फूल खिले हुए हैं।वन विभाग मुनस्यारी ईको पार्क स्थित ट्यूलिप गार्डन को व्यवसायिक स्तर पर शुरू करने की योजना बनाई जा रही है। व्यवसायिक स्तर पर इसके शुरू होने के बाद स्थानीय लोगों की इसका फायदा मिलेगा। इसके साथ ही ईको पार्क में स्थानीय उत्पादों के स्टॉल भी लगाए गए हैं, जिसको यहां आने वाले पर्यटक खरीद सकते हैं।समुद्रतल से नौ हजार फीट की ऊंचाई पर सुंदर ट्यूलिप के फूल तो खिले हुए हैं, लेकिन कोरोना के कारण पर्यटक इसके दीदार नहीं कर पा रहे हैं। कोरोना का पर्यटन व्यवसाय पर काफी असर पड़ा है। इसके चलते मुनस्यारी, पिथौरागढ़, चौकड़ी सहित अन्य क्षेत्रों के होटल व्यवासायी काफी परेशान हैं। मुनस्यारी के ईको पार्क में समुद्रतल से नौ हजार फुट की ऊंचाई पर ट्यूलिप गार्डन विकसित किया गया है। इसके लिए वन विभाग और स्थानीय लोगों की टीम ने एक साल तक कड़ी मेहनत की। 30 एकड़ क्षेत्र में फैले इस ट्यूलिप गार्डन को अब व्यवसायिक तौर पर शुरू करने की योजना बनाई जा रही है।
– डॉ. विनय भार्गव, डीएफओ पिथौरागढ़।