भारी बर्फबारी के बाद भालुओं का बढ़ा आतंक, टहल रहे मकानों की छतों पर, लोगों में बढ़ी चिंता

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छतों पर पड़ी बर्फ पर भालू के पैरों के निशानपिथौरागढ़। भारी बर्फबारी के बीच दारमा घाटी में भालुओं का आतंक भी बढ़ गया है। भालू मकानों की छतों में टहल रहे हैं। इससे लोगों में भवनों और सामान की सुरक्षा के प्रति चिंता बढ़ गई है। दारमा के चैदह गांवों के लोग हर साल जाड़ों में धारचूला आदि निचले क्षेत्रों में आ जाते हैं। सभी घरों में पर्याप्त मात्रा में राशन सहित अन्य जरूरी सामान होता है।
माइग्रेशन के दौरान वहां पर भालू मकानों की छतों को तोड़कर भीतर रखे अनाज को खा जाते हैं। पिछले साल भी भालुओं ने एक दर्जन मकानों को तोड़ दिया था। इस साल भी वहां पर भारी हिमपात हुआ है। कुछ मकानों की छतों में ताजा बर्फबारी के बाद भालुओं के पंजों के निशान हैं।

12 दिसंबर से बंद है दारमा घाटी की सड़क
आजकल इस घाटी में आईटीबीपी के जवान ही सीमा की सुरक्षा में लगे हैं। लोगों ने अपने घरों की छत में भालुओं के पैर के निशान देखकर सामान की चिंता होने लगी है। दारमा घाटी को जाने वाली सड़क सेला से आगे बंद होने से लोग अपने घरों की देखभाल के लिए भी नहीं जा पा रहे हैं। दांतू गांव के प्रधान जमन दताल और बीडीसी सदस्य मनोज ग्वाल ने कहा कि सड़क को खोलने को लेकर शीघ्र ही उपजिलाधिकारी से मुलाकात की जाएगी।

12 दिसंबर की बर्फबारी के बाद से सेला गांव के आगे बर्फ होने के कारण सड़क बंद है। दारमा घाटी में दो जनवरी की बर्फबारी से सेला, चल, नांगलिंग, बालिंग में एक फीट, बोन, फिलम, सोन, दुग्तू, दांतू, गो में डेढ़ फीट से अधिक बर्फ है। ढाकर, तिदांग, मार्छाल और अंतिम गांव सीपू में लगभग दो फीट बर्फ पड़ी है। पंचाचूली ग्लेशियर और चीन बार्डर के दावे, विदांग आदि जगह पर 3 से 5 फीट बर्फबारी हुई है।

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